अस्सलामोअलैकुम भाइयों और बहनों फ़ज़्र की नमाज़ पढ़ना हमारे लिए ज़रूरी है और हमे फ़ज़्र के बाद सोना नही चाहिए उस वक़्त अल्लाह ताला अपने बंदों को रिज़्क़ देते है। जो फ़ज़्र नही पढ़ता और जो पढ़कर सो जाता है। अल्लाह उसके रिज़्क़ में बरकत नही देते है। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अल्लाह ताला से सुबह के समय जागने वालो के लिये बरकत की दुआ की है। आपने फरमाया अल्लाह आप मेरे उम्मत के कदमों में बरकत पैदा कर दीजिए। आज हम आपको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और फातिमा (रज़ि) का वाकया बताते हैं फ़ातिमा (रज़ि) फ़ज़्र की नमाज़ पढ़ कर सो गई हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाए बेटी के घर देखा फ़ातिमा(रज़ि) सो रही हैं.
प्यारे आका सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बहुत नरम तबियत के मालिक थे लेकिन जब देखा बेटी सोरही है फ़ज़र की नमाज़ के बाद उन्होंने अपने पैर से ठोकर मारकर उन्हें जगाया हालांकि प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कभी किसी को अपना पैर नहीं लगाया जिसे भी मिले गले से लगाया हाथ मिलाया तो बेटी फातिमा का क्या मुकाम होगा उनकी जिंदगी में लेकिन फ़ज़्र की नमाज के बाद बेटी सो रही है तो उन्होंने उसे पैर से ठोकर मार के जगाया और फरमाया ऐ फातमा उठ जा क्योंकि यह मुसलमानों के सोने का वक्त नहीं है.
अल्लाह के फरिश्ते इस वक्त इंसान की रोज़ी लेकर आते हैं जो इस वक्त में सो रहा होता है फरिश्ते रोजी लेकर वापस चले जाते हैं वह रिज़्क से महरूम हो जाता है. बदतरीन है वो इंसान जो फ़ज़्र न पढ़े और फ़ज़्र के बाद सो जाए। जितनी कोशिश करना है रोजी कमाने की कर लो फ़ज़्र नहीं पढ़ोगे अल्लाह ताला रिज़्क़ में बरकत नहीं देंगे.
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया सुबह का सोना रिज़्क़ को बंद कर देता है। अल्लाह के नबी की बददुआ है उस इंसान को जो सुबह के समय सोता है। 90% मुसलमान सो रहे होते है सुबह के वक़्त मस्जिदों में 1 लाइन भी नही होती नमाज़ पढ़ने वालों की अल्लाह ने सुबह के समय बरकत रखी.
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अल्लाह ताला से दुआ की,”अल्लाहुमा बारिक फी बुकुरिहा” ऐ अल्लाह आप मेरी उम्मत के सुबह के कामो में बरकत दीजिये। अल्लाह ताला ने हमारी बरकत फ़ज़्र के वक़्त में रखी।भाइयों और बहनों फ़ज़र पढ़ो सुबह में उठो ज़रूर और बच्चों को भी उठाने को कोशिश कीजिये, रोज़ी में बरकत होगी आपके हर काम आसान होंगे. अल्लाह ताला हम सबको अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए आमीन.