हेलो दोस्तों आज हम बात करेंगे भारतरत्न डॉ. विश्वेश्वरैया के बारे में, दोस्तों डॉ विश्वेश्वरैया ने नींद में ही ऐसा काम कर दिया जिसके बारे में जानकार लोग हैरान रह गए। कई लोगों ने तो उन्हें पूर्वाभास करने वाला व्यक्ति भी बता दिया। दोस्तों डॉक्टर विश्वेश्वरैया का जन्म भारत के कर्नाटक में 15 सितम्बर 1861 में हुआ था उनके पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री और माता का नाम वेंकट लक्ष्मी था। मात्र 15 साल की उम्र में ही डॉ विश्वेश्वरैया के पिता का निधन हो गया। डॉ विश्वेश्वरैया भारत के मशहूर इंजीनियर ,राजनेता और मैसूर के दीवान थे.
दोस्तों यह बात शायद बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि डॉ विश्वेश्वरैया की याद में 15 सितंबर को इंजीनियर डे के रूप मे मनाया जाता है। डॉ विश्वेश्वरैया के जीवन का एक वाक्य बहुत ही मशहूर हैं। आइए आज आपको बताते हैं कि वह क्या कहानी थी जिसकी वजह से डॉक्टर विश्वेश्वरैया और भी ज्यादा मशहूर हो गए.
एक बार की बात है रात का समय था चारों तरफ बहुत सन्नाटा था I ऐसे में एक ट्रेन आवाज करती हुई एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन की तरफ जा रही थी। उस ट्रेन में बहुत सारे लोग सवार थे औऱ क्योंकि रात ज्यादा हो चुकी थी इसलिए अधिकतर लोग सो चुके हैं ।उस वक्त एक आदमी ऐसा था जो कि खिड़की पर सर रखकर सो रहा था अचानक से वह आदमी जाग गया और अपनी सीट पर खड़ा होकर उसने ट्रेन है चेंन खिंच दी. जैसे ही चेन खींची गई ट्रेन धीरे-धीरे करके रुक गई ।ट्रेन रुकने के बाद ट्रेन के कर्मचारी उस डब्बे में यह जानने के लिए आए कि चेन किसने खींची और क्यों ?
कुछ लोगों को लगा कि इस आदमी ने नींद में ही चेन खींच दी इसलिए कुछ लोग नाराज भी होने लगे क्योंकि उनके सफर में देर हो रही थी। अगले ही पल सभी लोगों ने उस आदमी को घेर लिया और उससे पूछने लगे कि आखिर तुमने चेंन क्यों खींची। लेकिन उस आदमी ने लोगों की बातों का बुरा नहीं माना और कहा कि उसे शक है कि रेलवे पटरी में कुछ गड़बड़ है यानी कि आगे पटरिया टूटी हुई है यदि मैं चैन नहीं खींचता तो ट्रेन उस टूटी हुई पटरी की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो जाती और सभी लोगों की जान को खतरा हो सकता था.
सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए कि आखिर इस आदमी को नींद में यह कैसे पता चला कि आगे की पटरिया टूटी हुई है ।सब लोगों ने उससे पूछा कि आखिर तुम्हें कैसे यह पता चला कि पटरिया टूटी है क्या तुम झूठ बोल रहे हो या बातें बना रहे हो तब उस इंसान ने कहा कि मैं कोई झूठ नहीं बोल रहा हूं आप चाहे तो पटरीयों को जाकर देखें वे टूटी हुई होंगी। फिर रेलवे कर्मचारियों ने ऐसा ही किया रात के अंधेरे में टॉर्च लेकर पटरियों को चेक करने निकल पड़े.
कुछ दूर जाने पर पता चला कि सचमुच पटरी में दरार थी उस समय सभी कर्मचारी हैरान रह गए क्योंकि यदि ट्रेन उस दरार वाली पटरी से गुजरती तो बहुत बड़ी ट्रेन दुर्घटना हो जाती है सभी लोग वापस उस इंसान के पास आए जिसने ट्रेन की चेन खींची थी उन्होंने उस इंसान से पूछा कि आखिर आपको यह बात कैसे पता चली कि पटरियों में दरार है क्या आपको पूर्वाभास होता है क्या आपके पास कोई शक्ति है तब उस इंसान ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है मैं खिड़कियों पर सर रखकर सो रहा था लेकिन मेरा पूरा ध्यान ट्रेन की आवाज पर था.
मैं ट्रेन की आवाज को बहुत ध्यान से सुन रहा था कि अचानक ही ट्रेन और पटरियों के बीच की आवाज बदल गई तब मैं समझ गया कि आगे कुछ गड़बड़ है। ट्रैन को इतनी बड़ी दुर्घटना से बचाने वाले इंसान और कोई नहीं बल्कि महान वैज्ञानिक डॉक्टर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ही थे.