इ’स्ला’मी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी उल अव्वल के 12वें दिन ईद ए मिलाद उन नबी मनाया जाता है। गौरतलब है कि पै’गंब’र मोहम्मद के जन्मदिन के मौके पर यह सेलिब्रेट किया जाता है। आज हम आपको ईद मिलाद उन न्नबी के मौके पर पैगम्बर मोहम्मद से जुड़ी कुछ बातें बताने जा रहे हैं जो शायद आप नहीं जानते होंगे।
पैगं’बर मोह’म्मद इस्लाम के सबसे महान नबी और आखिरी पै’गंबर हैं। पै’गंब’र मोहम्मद के जन्म के बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म 570 ईसवी में सऊदी अरब के शहर मक्का में हुआ था। इनके पिता का नाम अब्दुल्ला और माता का नाम बीबी अमीना था। शायद आप ना जानते हो लेकिन पै’गंबर मो’हम्म’द के जन्म से पहले ही उनके पिता का नि’धन हो चुका था और 6 साल की उम्र में उनकी मां भी चल बसी थी।
पैगं’बर की पत्नी आयशा के मुताबिक, पै’गंबर मो’हम्म्म’द घर के कामों में भी मदद करते थे। इसके बाद वह प्रार्थना के लिए बाहर जाते थे। कहा जाता है कि वह बकरियों का दूध भी दुहते थे। पै’गंबर मो’हम्म’द मू’र्ति पू’जा के खि’लाफ थे। यही वजह है कि उनकी कहीं भी तस्वीर या मूर्ति नहीं मिलती है। पैगं’बर मो’ह’म्मद ने कहा था कि जो भी उनकी तस्वीर बनाएगा, उसे अल्लाह स’जा देंगे।
आपको बता दें कि पै’गंबर मो’हम्म’द इस बात को मानते थे कि अ’ल्ला’ह ने उन्हें अपना सं’देशवा’हक चुना है इसलिए वह दूसरों को भी अ’ल्ला’ह का संदेश देने लगे। सन् 622 में मो’हम्म’द को अपने अनुयायियों के साथ मक्का से म’दी’ना कूच किया था। उनके इस सफर को हिज’रत कहा गया। इसी वर्ष इ’स्ला’मि’क कै’लेंड’र हि’जरी की भी शुरुआत हुई।
बताया जाता है कि कुछ ही सालों में पै’गंबर मो’हम्म’द के अनुयायी काफी बढ़ गए थे। तब उन्होंने मक्का लौटकर विजय हासिल की। इसके बाद मक्का में स्थित काबा को इ’स्ला’म का प’वित्र स्थ’ल घोषित कर दिया गया। जहाँ हज के लिए लाखों लोग हर साल जाते हैं। सन् 632 में ह’ज’रत मु’हम्म’द साहब का दे’हां’त हो गया लेकिन इससे पहले लगभग पूरा अरब इ’स्ला’म क’बू’ल कर चुका था।