राजधानी दिल्ली के बुराड़ी में महज 6 गज़ (Yard) जमीन में बने 3 मंज़िला मकान (House) को देखने के लिए लोग बड़ी दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. लोग ताज्जुब करते हैं कि कैसे 6 गज़ में तीन मंज़िला मकान बन सकता है. लेकिन जब मकान को अपनी आंखों से देखते हैं तो एक बार को मकान का डिजाइन (Disigen) तैयार करने वाले की तारीफ किए बिना भी नहीं रहते हैं. लेकिन दिल्ली (Delhi) का यह चर्चित मकान टूट सकता है. नियमों को दरकिनार कर 6 गज़ में तीन मंज़िला मकान बनाया गया है. एमसीडी (MCD) की निगाह मकान पर है. इसे आसपास के दूसरे मकानों के लिए भी खतरा (Dangerous) बताया गया है.
एमसीडी के एक इंजीनियर ने बताया कि कुछ खबरों में हमने उस मकान को देखा है. मकान पूरी तरह से नियम-कायदे को तोड़कर बनाया गया है. इसके लिए कम से कम 32 स्क्वायर मीटर ज़मीन होनी चाहिए थी. और यह बना है 6 गज मतलब 5 मीटर में. यह मकान इसमे रहने वालों के लिए तो खतरा है ही, साथ में आसपास जो मकान बने हैं उनके लिए भी खतरा है. भविष्य में जब भी कॉलोनी एप्रूव्ड होगी तो यह मकान एप्रूव्ड नहीं हो सकेगा. इतना ही नहीं अगर वहां रहने वाला कोई शिकायत करता है तो यह मकान टूट भी सकता है. डीडीए के एक अन्य इंजीनियर का कहना है कि जिस जगह में यह मकान बना है वो कच्ची कालोनी में आती है. इस तरह की ज़मीन पर ऐसे मकान तैयार करना भी गैरकानूनी है.
इस मकान को बनाने वाला अब इस इलाके में नहीं रहता है. मकान बनाने वाले शख्स का नाम अरुण था, जो बिहार के मुंगेर जिले का रहने वाला था. अरुण इलाके के ही एक ठेकेदार के यहां नौकरी किया करता था. उस ठेकेदार का काम इलाके की जमीन की प्लॉटिंग कर उसे बेचना था. कि जिस जमीन पर यह मकान बना हुआ है वहीं से गली नंबर 65 के लिए रास्ता निकलना था. रास्ता निकलने के बाद कोने की 6 गज जमीन बच गई. और उस कारीगर ने ठेकेदार से 6 गज का हिस्सा अपने नाम करवा कर यह मकान बनवा लिया.
इस तीन मंजिला इमारत के ग्राउंड फ्लोर से ही पहली मंजिल पर जाने का रास्ता निकलता है और ग्राउंड फ्लोर पर ही सीढ़ियों से सटा एक बाथरूम भी है. ग्राउंड फ्लोर पर इसके अलावा कुछ नहीं है. अगर आप पहली मंजिल पर जाएंगे तो एक बेड रूम और उससे सटा एक बाथरूम नजर आएगा. बेडरूम से ही दूसरी मंजिल के लिए एक रास्ता निकाला गया है.
पहली मंजिल पर पहुंचते ही एक बेड आपको नजर आएगा. उस बेड को इस मकान के पहले मालिक ने कमरे के अंदर ही बनवाया था. तब से अब तक बेड उसी जगह पर है जहां वह पहले दिन से लगा था. मकान तिकोने आकार का है. यानी दरवाजे से शुरू होकर अंत तक जाते-जाते दीवारें त्रिभुज की तरह जुड़ जाती हैं. बुराड़ी (Burari) के छोटे से घर की कहानी रोचक कहानी सामने आई. इस घर के साथ-साथ घर बनाने वाले की भी कहानी कम दिलचस्प नहीं है. घर बनाने का आइडिया और घर को बनाने वाला पेशे से क्या करता है और आखिर कैसे उसने 6 गज की जमीन पर 16 गज का मकान बना डाला?
महानगर में पिछले कुछ दिनों से बुराड़ी (Burari) इलाके में 6 गज में बना एक मकान चर्चा में है. महज 6 गज जमीन पर पांच आदमियों का परिवार कैसे गुजर-बसर कर रह रहा है, इसको लेकर सहज ही मन में तरह-तरह के सवाल उठने लगते हैं. क्या कोई 6 गज जमीन में अपना आशियाना बना सकता है? लेकिन, सच में दिल्ली के बुराड़ी इलाके में 6 गज जमीन पर ना सिर्फ एक खूबसूरत मकान बना है, बल्कि उसमें पांच सदस्यों का एक परिवार भी रह रहा है. न्यूज 18 हिंदी की तहकीकात में पता चला है कि वास्तव में बुराड़ी की इस छोटे से घर की कहानी काफी बड़ी है. इस घर के साथ-साथ घर बनाने वाले की भी कहानी कम दिलचस्प नहीं है. घर बनाने का आइडिया और घर को बनाने वाला पेशे से क्या करता है? आखिर कैसे 6 गज जमीन पर 16 गज का कमरा बना लिया? तो जानते हैं कि इस इमारत के पीछे असली दिमाग और कारीगरी किसकी है.
6 गज में बना एक सुंदर सा घर
बुराड़ी मेन रोड से जब संत नगर मेन मार्केट के आखिरी हिस्से में पहंचते हैं तो दाहिने हाथ पर एक छोटी सी चौधरी डेयरी नजर आती है. आपको वहां से ही स्थानीय लोग 6 गज की जमीन पर बने मकान के बारे में बताने लगेंगे. न्यूज 18 हिंदी ने जब 6 गज जमीन वाली इमारत के बारे में एक राहगीर से पूछा तो उसने कहा कि- दूर सामने जो यादवेंद्र स्कूल नजर आ रहा है उससे पहले ही गली नंबर 62 है. उस गली में प्रवेश करने के बाद आप बायें मुड़ जाएं तो गली का अखिरी मकान ही 6 गज वाला घर है.
आखिर किसका आइडिया है छोटा घर
अच्छा मकान देखकर आप कारीगर की तारीफ न करें ऐसा हो नहीं सकता. यहां आने वाला हर शख्स कारीगर की तारीफ करते नहीं थकता. लेकिन इस मकान को बनाने वाला अब इस इलाके में नहीं रहता है. लोगों से पता चला कि मकान बनाने वाला एक मजदूर था, जो बाद में राजमिस्त्री (मकान बनाने वाला कारीगर) बन गया. वह इलाके के ही एक ठेकेदार के यहां नौकरी किया करता था. उस ठेकेदार का काम था, इलाके की जमीन की प्लॉटिंग कर और फिर बेच देना. क्योंकि, जिस जमीन पर यह मकान बना हुआ है वहीं से गली नंबर 65 के लिए रास्ता निकलना था. इसलिए रास्ता निकलने के बाद कोने की 6 गज जमीन बच गई. उस कारीगर ने ठेकेदार से 6 गज का हिस्सा अपने नाम करवा लिया. ये भी बताया जा रहा है कि ठेकेदार ने एक लाख रुपये में जमीन बेची थी.
6 गज की जमीन कैसे ऊपर 16 गज की हो गई
इस जगह पर आने-जाने वाला हर शख्स हैरान है कि एक कारीगर, जो कभी मजदूर था, उसने इस 6 गज जमीन पर इतना सुंदर मकान बना डाला. इतना ही नहीं यह मकान अब बुराड़ी के लिए ही नहीं पूरे दिल्ली के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है. इस दो मंजिला इमारत के ग्राउंड फ्लोर से ही पहली मंजिल पर जाने का रास्ता निकलता है और ग्राउंड फ्लोर पर ही सीढ़ियों से सटा एक बाथरूम भी है. ग्राउंड फ्लोर पर इसके अलावा कुछ नहीं है. अगर आप पहली मंजिल पर जाएंगे तो एक बेड रूम और उससे सटा एक बाथरूम नजर आएगा. बेडरुम से ही दूसरी मंजिल के लिए एक रास्ता निकाला गया है. पहली मंजिल पर पहुंचते ही एक बेड आपको नजर आएगा. उस बेड को इस मकान के पहले मालिक ने कमरे के अंदर ही बनवाया था. तब से अब तक बेड उसी जगह पर है जहां वह पहले दिन से लगा था. मकान तिकोने आकार का है. यानी दरवाजे से शुरू होकर अंत तक जाते-जाते दीवारें त्रिभुज की तरह जुड़ जाती हैं.