शनि का अगला गोचर कुंभ राशि में होने जा रहा है जानिए किन राशियों पर शुरू हो जाएगी शनि ढैय्या (Shani Dhaiya)। शनि जब अपने गोचर के समय जन्म राशि से चतुर्थ व अष्टम भाव में स्थित होता है तब इसे शनि की ढैय्या कहा जाता है।
Shani Dhaiya: शनि लगभग हर ढाई साल में अपनी राशि बदलते हैं। ज्योतिष अनुसार इस ग्रह का राशि परिवर्तन काफी अहम माना जाता है। क्योंकि इसका प्रभाव सभी राशि के लोगों पर पड़ता है। लेकिन शनि के राशि गोचर से मुख्य रूप से 5 राशि के जातक प्रभावित होते हैं। दो राशियों पर शनि ढैय्या चलती है तो 3 पर एक साथ शनि साढ़े साती। शनि का अगला गोचर कुंभ राशि में होने जा रहा है जानिए किन राशियों पर शुरू हो जाएगी शनि ढैय्या।
इन राशियों पर शुरू होगी शनि ढैय्या
शनि 29 अप्रैल 2021 से कुंभ राशि में गोचर करने जा रहे हैं और 29 मार्च 2025 तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे। शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करने से कर्क और वृश्चिक वालों पर शनि ढैय्या शुरू हो जाएगी। तो वहीं मिथुन और तुला वाले इससे मुक्त हो जायेंगे। बता दें कि कर्क राशि के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं तो वहीं वृश्चिक राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं। ज्योतिष शास्त्र अनुसार शनि की ढैय्या आमतौर पर बेहद ही कष्टदायी साबित होती है। इस दौरान व्यक्ति को कई कार्यों में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
कैसे लगती है शनि की ढैय्या
शनि जब अपने गोचर के समय जन्म राशि से चतुर्थ व अष्टम भाव में स्थित होता है तब इसे शनि की ढैय्या कहा जाता है। शनि की ढैय्या की अवधि ढाई वर्ष की होती है। अगर कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत नहीं है तो शनि साढ़े साती की तरह ही शनि ढैय्या भी कष्टदायी मानी जाती है।
शनि ढैय्या के लक्षण
बार-बार लोहे से चोट लगना।नींद नहीं आना।बार-बार किसी न किसी से वाद-विवाद होना।कोर्ट-कचहरी के चक्करों में अचानक से फंसना।नौकरी में प्रमोशन होने में बाधाएं उत्पन्न होना।कर्ज में वृद्धि होना।बुरी आदतों की लत लगना।बार-बार अपमानित होना।
शनि ढैय्या के उपाय
हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए।-शिव जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। खासतौर से महामृत्युंजय मंत्र या ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।-पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शनि के मंत्र का 108 बार जाप करना।-प्रत्येक शनिवार शनि देव की मूर्ति पर सरसों का तेल चढ़ाकर उनकी विधि विधान पूजा करनी चाहिए।-जरूरतमंदों को शनि से संबंधित चीजों जैसे काली उड़द दाल, काले जूते, काले कपड़े, काले तिल इत्यादि का दान करें।-हर शनिवार हनुमान चालीसा का पाठ करें।