बुदेलखंड की ये बेटी संध्या मारावी कुली बनकर महिला सशक्तीकरण की मिसाल पेश कर रही है । मध्य प्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन पर संध्या 65 पुरुष कुलियों के बीच अकेली महिला कुली है । वो जिस साहस से इस काम को करती है, उसके देखकर हर कोई उसकी हिम्मत की दाद देता है । संध्या के जिंदगी पति के रहते इतनी मुश्किल नहीं थी ।
लेकिन 2015 में पति के जाने के बाद से सब कुछ बदल गया। अब खर्च चलाना भी बड़ी चुनौती बन गया, लेकिन संध्या ने हार ना मानने का फैसला किया । तय किया कि वो कुली बनेगी और बच्चों को खुद संभलेगी । समाज की चिंता किए बिना संध्या मारावी ने 2017 में अपना काम शुरू कर दिया।
तीन मासूमों के लिए कर रही है ये काम
कटनी जंक्शन पर कुली का काम कर रही महिला का नाम संध्या मारावी है। जनवरी 2017 से यह काम कर रहीं संध्या इसके पीछे की मजबूरी के बारे में बताती हैं, “मैं अपने पति के साथ यहीं कटनी में रहती थी। हमारे तीन बच्चे हैं। मेरे पति लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 22 अक्टूबर 2016 को उन्होंने अंतिम सांस ली।” “बीमारी के बावजूद वे मजदूरी कर घर का खर्च चलाते थे। उनके बाद मेरे ऊपर सास और अपने तीन बच्चों की जिम्मेदारी आ गई। ऐसे में मुझे जो नौकरी मिली, मैंने कर ली।” महिला कुली संध्या के पति भोलाराम को बीमारी के बाद 22 अक्टूबर 2016 को मौत हो गई थी। संध्या ने हिम्मत नहीं हारी और बच्चों की खातिर खुद को संभाला।
संध्या मरावी प्रतिदिन न सिर्फ दुनिया का बोझ ढो रही है बल्कि बच्चों के लिए प्रतिदिन 270 किलोमीटर का सफर भी तय कर परिवार के लिए रुपये जुटा रही है। कुंडम की रहने वाली संध्या पहले 45 किलोमीटर का सफर तय कर जबलपुर रेलवे स्टेशन फिर वहां से कटनी पहुंचती है। यहां काम करने के बाद जबलपुर और फिर घर लौटती है। तीन बच्चे शाहिल (8), हर्षित (6) व पायल (4) के भरण-पोषण, शिक्षा के लिए वह इतनी बड़ी परेशानी उठाकर कटनी पहुंचती है।
रोते हुए बताया, कैसे बनी कुली
संध्या बताती हैं, “मैं नौकरी की तलाश में थी। किसी ने मुझे बताया कि कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली की जरूरत है। मैंने तुरंत अप्लाई कर दिया।” “मैं यहां 45 पुरुष कुलियों के साथ काम करती हूं। पिछले साल ही मुझे बिल्ला नंबर 36 मिला है।” संध्या जबलपुर में रहती हैं। अपनी जॉब के लिए वो हर रोज 90 किमी ट्रैवल (45 किमी आना-जाना) कर कटनी रेलवे स्टेशन आती हैं। दिनभर बच्चों की देखभाल उनकी सास करती हैं।