आसाराम बची हुई जिंदगी जेल में ही गुजारेगा: जज ने कहा- इस दोषी ने आम लोगों में संतों की छवि को नुकसान पहुंचाया
जोधपुर. नाबालिग शिष्या से दुष्कर्म के मामले में आसाराम (77) को बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अदालत ने कहा कि आसाराम को बाकी बची जिंदगी जेल में ही काटनी होगी। उसके दो सहयोगियों शिल्पी और शरतचंद्र को भी 20-20 सजा की सजा हुई। फैसला सुनाते हुए विशेष एससी-एसटी कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा ने कहा- “‘आसाराम संत कहलाते हैं, लेकिन उन्होंने जप करवाने का बहाना कर पीड़िता को अपने कमरे में बुलाकर दुष्कर्म किया। दोषी ने ना सिर्फ पीड़िता का विश्वास तोड़ा, बल्कि आम जनता में संतों की छवि को भी नुकसान पहुंचाया।’’ आसाराम कोर्ट रूम में सजा सुनकर रोने लगा। फिर कहा, ‘‘जैसी ऊपर वाले की मर्जी। हम यहीं (जेल में) रहेंगे।’’
– बता दें कि इंदिरा गांधी के हत्यारों, आतंकी अजमल आमिर कसाब और डेरा प्रमुख गुरमीत राम-रहीम के केस के बाद ये देश का चौथा ऐसा बड़ा मामला है, जब जेल में कोर्ट लगी और वहीं से फैसला सुनाया गया। पॉक्सो एक्ट के तहत भी ये पहला बड़ा फैसला है। वहीं, राम रहीम के बाद दूसरा ऐसा मामला है जिसमें तथाकथित संत को दुष्कर्मी करार दिया गया है।
जज ने अपने फैसले में 5 मुख्य बातें कहीं, पीड़ित बच्ची के हौसले का जिक्र किया
1) 453 पन्नों के अपने फैसले में एससी-एसटी अदालत के जज ने कहा, ‘‘आसाराम संत कहलाते हैं, लेकिन उन्होंने जप करवाने का बहाना कर पीड़िता को अपने कमरे में बुलाकर दुष्कर्म किया। आसाराम ने ना सिर्फ पीड़िता का विश्वास तोड़ा, बल्कि आम जनता में संतों की छवि को भी नुकसान पहुंचाया।’’
2) ‘‘पीड़िता आसाराम के विशाल कद और उसकी शक्तियों से घबराई हुई थी। जिस व्यक्ति को वह भगवान मान कर पूजती थी, उसके द्वारा ऐसा घिनौना कृत्य करने से निश्चित रूप से उसकी विचार प्रक्रिया सुन्न हो गई होगी।’’
3) ‘‘लेकिन निश्चित रूप से यदि कोई भी घटना होने पर माता-पिता बच्ची का साथ देते हैं तो उसमें यह हिम्मत पैदा हो जाती है कि अपराधी और समाज का सामना कर सके।’’
4) ‘‘गवाहों से ज्यादा परिस्थितियां बयान करती हैं। व्यक्ति झूठ बोल सकता है लेकिन परिस्थितियां कभी झूठ नहीं बोलतीं। अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सफल रहा कि पीड़िता घटनास्थल पर स्थित कुटिया के कमरे में गई थी। यानी पीड़िता का उक्त कमरे में जाना साक्ष्य से साबित हुआ है।’’
5) ‘‘पीड़िता के शरीर पर कोई चोट न आना उसके बयानों को अविश्वसनीय नहीं बना देता। दुष्कर्म संदेह से परे साबित है।’’ (ये टिप्पणी खासकर आसाराम के वकीलों की उस दलील के संदर्भ में की गई, जिसमें दावा किया गया था कि दुष्कर्म हुआ ही नहीं)
पीड़ित लड़की का वह बयान जो झकझोर देता है
अदालत के फैसले में पीड़ित लड़की के उस बयान का भी जिक्र है जो उसने कोर्ट में जिरह के दौरान दर्ज कराया था। इसमें पीड़ित ने एक जगह कहा है, ‘‘मैं रो रही थी, और कह रही थी कि मुझे छोड़ दो। हम तो आपको भगवान मानते हैं। आप यह क्या कर रहे हो? फिर भी वो मेरे से बदतमीजी करते रहे और करीब एक-सवा घंटे बाद मुझे छोड़ा।’’
फैसले की सबसे बड़ी कड़ी: पीड़ित लड़की का अपने बयान पर टिके रहना
– दुष्कर्म की शिकार लड़की उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली है। आसाराम के समर्थकों ने उसे और उसके परिवार को बयान बदलने के लिए बार-बार धमकाया।
– उत्तर प्रदेश से बार-बार जोधपुर आकर केस लड़ने के लिए उसके पिता को ट्रक तक बेचने पड़े।
– आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले नौ लोगों पर हमला हुआ। तीन गवाहों की हत्या तक हुई। जान गंवाने वालों में लड़की के परिवार के करीबी दोस्त भी थे।
– कोर्ट को भी गुमराह करने की कोशिशें हुईं। जांच अधिकारी को बचाव पक्ष के वकीलों ने बार-बार कोर्ट में बुलवाया। एक गवाह को 104 बार बुलाया गया।
– आसाराम की तरफ से लड़की पर अपमानजनक आरोप लगाए गए। ये तक कहा गया कि मानसिक बीमारी के चलते लड़की की पुरुषों से अकेले मिलने की इच्छा होती है।
– फिर भी 27 दिन की लगातार जिरह के दौरान पीड़ित लड़की अपने बयान पर कायम रही। उसने 94 पन्नों में अपना बयान दर्ज कराया।
– आसाराम के वकीलों ने पीड़िता को बालिग साबित करने की हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन उम्र पर संदेह की कोई जायज वजह नहीं मिली।
– जांच अधिकारी ने भी 60 दिन तक हर धारा पर ठोस जवाब दिए। 204 पन्नों में बयान दर्ज हुए।
आसाराम के खिलाफ फैसले की ये बातें तकनीकी आधार बनीं
– जहां लाखों लोगों की आस्था जुड़ी होती है, उसका अपराध ज्यादा गंभीर माना जाता है। ऐसा ही राम रहीम के केस में भी हुआ था। उस केस में जज ने कहा था- जिसने अपनी साध्वियों को ही नहीं छोड़ा और जो जंगली जानवर की तरह पेश आया, वह किसी रहम का हकदार नहीं है।
– मामला नाबालिग से दुष्कर्म का था। जिसके संरक्षण में नाबालिग रहता है, वही उसका शोषण करे तो अपराध और भी संगीन माना जाता है।
– पॉक्सो एक्ट 2012 में नाबालिग की उम्र 16 से 18 हो गई, पीड़िता 17वें साल में थी। इसलिए 2013 में दर्ज आसाराम के मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत ही धाराएं लगीं।
– द क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट 2013 में दुष्कर्म की परिभाषा बदल गई, इसलिए 376 लगी।
आसाराम के दो साथी दोषी करार, दो बरी
– अासाराम के सेवादार शिल्पी और शरतचंद्र को 20-20 साल की सजा हुई। इन दोनों ने लड़की को आसाराम तक पहुंचाने में मदद की थी। वे गिरोह बना कर दुष्कर्म करने की धारा 376डी के तहत दोषी साबित हुए।
– कोर्ट ने सेवादार शिवा और रसोइया प्रकाश को बरी कर दिया।
आसाराम अब कैदी नंबर 130 कहलाएगा
– जेल में आसाराम की पहचान कैदी नंबर 130 होगी। अब तक वह आश्रम से लाया गया खाना खाता था। इसके लिए आसाराम ने हाईकोर्ट से विशेष अनुमति ली थी। दोषी ठहराए जाने के बाद उसे जेल का खाना खाना पड़ेगा। आसाराम की सेवा करने के लिए उसके रसोइये प्रकाश ने अब तक जमानत नहीं ली थी। आज उसे बरी कर दिया गया है। प्रकाश जेल में आसाराम के कई काम करता था। उसके पैर दबाता था।
हाईकोर्ट में ही हो सकती है अपील
– पॉक्सो एक्ट के तहत बनाई गई कोर्ट जिला और सेशन कोर्ट स्तर की होती है। ऐसे में अब फैसले और सजा के खिलाफ अपील सीधे हाईकोर्ट में होगी। आसाराम की प्रवक्ता नीलम दुबे ने कहा कि हम अपनी कानूनी टीम से सलाह लेंगे। इसके बाद ही आगे की रणनीति तय होगी। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।