समृधि से हैं वंचित, तो करें अन्नदान
समृधि की चाह सभी को होती है किन्तु पाते कुछ लोग ही हैं. कोई जीवन में सभी सुखो को भोगता है तो कुछ लोग प्लान ही करते रहते हैं की इस बार ये खरीदेंगे तो अगली बार वो. कभी धन की कमी तो कभी अचानक आ गए खर्च पुरे प्लान को ख़राब भी कर देता है.
इसलिए प्लान करने के साथ ही सुख और समृधि की कामना से कुछ ज्योतिष उपाय अपनी कुंडली के अनुसार भी कर लेना चाहिए और कुंडली दिखाना सम्भव ना हो हमारे शास्त्रों में कुछ महत्वपूर्ण उपाय बताये गये हैं उनका पालन भी किया जा सकता है. सबसे पहले देखे की कुंडली से समृधि कैसे बढ़ाई जा सकती है तो जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि के क्षेत्र में चन्द्रमा स्थित हो और शनि से दृष्ट भी हो अथवा शनि व मंगल दृष्ट हो तो जातक विरक्ति का जीवन व्यतीत करता है परंतु इसके बाद भी संसार की समस्त प्रकार के सुखो को प्राप्त करता है।
जब किसी व्यक्ति के लग्न, तीसरे, अष्टम या भाग्य स्थान में शनि तथा उस पर गुरू की किसी भी प्रकार से दृष्टि हो तो भी ऐसे लोग सुविधा सम्पन्न जीवन बिताते हैं। साथ ही यहीं ग्रह योग उन्हें जीवन में सफलता तथा मान भी प्रदान करता है। किन्तु यदि इस प्रकार के योग ना हो और समृधि की कामना हो तो
अन्नं ब्रह्मा रसो विष्णुः।
स्कन्दपुराण के अनुसार अन्न ही ब्रह्मा है और सबके प्राण अन्न मे ही प्रतिष्ठित हैं ..
अन्नं ब्रह्म इति प्रोक्तमन्ने प्राणाः प्रतिष्ठिताः।
अतः स्पष्ट है कि अन्न ही जीवन का प्रमुख आधार है। इसलिए अन्नदान तो प्राणदान के समान है। अन्नदान को सर्वश्रेष्ठ एवं पुण्यदायक माना गया है।
धर्म में अन्नदान के बिना कोई भी जप, तप या यज्ञ आदि पूर्ण नहीं होता है। जो व्यक्ति प्रतिदिन विधिपूर्वक अन्नदान करता है वह संसार के समस्त फल प्राप्त कर लेता है। अपनी सामर्थ्य एवं सुविधा के अनुसार कुछ न कुछ अन्नदान अवश्य करना चाहिए। इससे परम कल्याण की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से अन्न का दान जीवन में सम्मान का कारक होता है। अतः जरूरतमंदों को अन्न का दान करना चाहिए, अन्न दान से समस्त पापों की निवृत्ति होकर इस लोक और परलोक में सुख प्राप्त होता है।