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भोजन के अधिकार अभियान ने सरकार को भेजी रैपिड रिपोर्ट, आंगनवाड़ी तो बंद, लेकिन नहीं है टीएचआर की व्यवस्था, भूखे पेट कोविड 19 से लड़ना होगा कठिन

भोपाल। कोविड का संकट घना है। इसके लिए सरकार पुरजोर कोशिश कर रही है। प्रदेश में ऐहतियातन आंगनवाड़ी केन्द्र और स्कूलों को बंद कर दिया गया है और यहां मिलने वाले भोजन की जगह टेक होम राशन देने का सरकार ने निर्णय लिया है, लेकिन जमीनी परिस्थिति यह है कि सभी जिलों में यह शुरू नहीं हो पाया है। भोजन के अधिकार अभियान ने प्रदेश के प्रमुख जिलों में पोषण आहार का जायजा लिया है जिसमें पाया गया है कि टेक होम राशन भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में 42.8 प्रतिशत बच्चे कम वज़न के हैं और 42 प्रतिशत बच्चे स्टंटिंग कुपोषण से प्रभावित हैं. सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि 9 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे अति गंभीर कुपोषण के शिकार हैं और 56 प्रतिशत महिलायें खून की कमी की शिकार हैं. प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होने से संक्रमण का बहुत गहरा असर पड़ता है. कोरोना-कोविड 19 से निपटने की नीति बनाते समय बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान किये जाने की जरूरत है।
14 मार्च को महिला एवं बाल विकास विभाग ने समस्त आंगनवाड़ी केन्द्रों को 31.03. 2020 तक बंद करने के निर्देश दिए. 17 मार्च को ये निर्देश जारी किये गए कि सभी बच्चों को (यानी 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के उन बच्चों को भी, जिन्हें गरम पका हुआ पोषण आहार मिलता था) टेक होम राशन प्रदान किया जाएगा।

क्या है जमीनी हालात :

शिवपुरी जिले के सामाजिक कार्यकर्ता अजय सिंह यादव ने बताया उनके क्षेत्र में दिसम्बर 2019 में टेक होम राशन की आपूर्ति हुई थी. जिसका उपयोग दिसंबर के वितरण और बचे हुए टेक होम राशन का उपयोग कुछ परियोजनाओं में 15 जनवरी 2020 तक किया गया. इसका मतलब यह है कि इसके बाद आंगनवाडी केन्द्रों तक टेक होम राशन नहीं पहुंचा है. उल्लेखनीय है कि पोहरी सहरिया आदिवासी बहुल विकासखंड है, जहाँ लम्बे समय तक कुपोषण के कारण बच्चों की मृत्यु के मामले दर्ज होते रहे हैं.
पन्ना जिले के सामाजिक कार्यकर्ता युसूफ बेग ने बताया कि कुछ आंगनवाडी केन्द्रों में पिछले मंगलवार को टेक होम राशन बंटा। किन्तु दो हफ़्तों से गरम पका हुआ पोषण आहार बंद कर दिया गया है। 3 से 6 साल के बच्चों को टेक होम राशन नहीं दिया जा रहा है।
निवाड़ी जिले के सामाजिक कार्यकर्ता मस्तराम सिंह घोष ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार सभी हितग्राहियों को टेक होम राशन दिए जाने की व्यवस्था नहीं बन पायी है। टीएचआर घर घर जाकर देने को कहा गया था किन्तु ऐसा नहीं हो रहा है। पहले का बचा हुआ टीएचआर आफिसों में रखा हुआ है, परिवहन के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। पोषण आहार की निगरानी, उपलब्धता और परिवहन के बारे में कोई निर्देश नहीं हैं।

उमरिया जिले के

-सामाजिक कार्यकर्ता बीरेन्द्र गौतम ने बताया कि मंगलवार को बच्चों को कुछ टीएचआर (जो स्टाक में था) बंटा था, अब स्टाक ख़तम है और सभी हितग्राहियों को टीएचआर दे पाने की स्थिति में जिला प्रशासन नहीं है.

-रीवा जिले के सामाजिक कार्यकर्ता रामनरेश यादव ने बताया कि मार्च माह का स्टाक ही नहीं पहुंचा है. इस कारण से मार्च माह में किसी भी हितग्राही को टीएचआर प्रदान नहीं किया गया है.

-सतना जिले के सामाजिक कार्यकर्ता प्रतीक भाई ने बताया कि पूरे सतना जिले में जनवरी से टीएचआर की आपूर्ति नहीं हुई है। जनवरी में वही टीएचआर बंटा था, जो पहले के स्टाक से बचा हुआ था। उसी स्टाक में से कुछ का इस्तेमाल फ़रवरी में किया गया। मार्च में कोई स्टाक नहीं आया है। वर्तमान स्थिति में मझगवां सेक्टर में टेक होम राशन की उपलब्धता नहीं है।भोजन के अधिकार अभियान के सचिन कुमार जैन ने कहा है कि संक्रमण से लड़ने के लिए खादय सुरक्षा को मजबूत करना भी सबसे बड़ी जरूरत है, इसमें स्थानीय लोगों, स्वसहायता समूहों को शामिल नहीं किया गया है। जबकि इस वक्त वह भी अपनी सामाजिक भूमिका निभा सकते हैं।

मध्यप्रदेश में 97135 आंगनवाडी और मिनी आंगनवाड़ी केंद्र हैं. मध्यप्रदेश में इस कार्यक्रम में कुल 8970403 हितग्राहियों को पोषण आहार प्रदान किये जाने की जिम्मेदारी तय है.
6 माह से 3 वर्ष तक के दर्ज बच्चे – 3437973
3 वर्ष से 6 वर्ष तक के हितग्राही बच्चे – 3854035
गर्भवती महिलायें – 749815
धात्री महिलायें – 733939
किशोरी बालिकाएं – 194641

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