चुनाव में ये फ़ै’सला भा’जपा को पड़ सकता है भा’री, 40% वोटरों के लिए क्या..
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर चुना’वी बिसा’त बिछ चुकी है। जल्द ही राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी राजनीतिक पार्टियां इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए पूरी जो’र आ’जमाइ’श कर रही हैं। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर राज्य में ओ’बी’सी वोटों को अपने पाले में लेकर आने की कमान संभाल ली है।
साल 2014 और साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुद के पि’छ’ड़े वर्ग से होने का का’र्ड खेलकर सि’या’सी जं’ग फ’तह की थी। एक बार फिर महाराष्ट्र में भी बीजेपी यही दांव खेलकर कमल खिलाने की कोशिशों में है लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी के लिए ओ’बी’सी समुदाय की वोट हासिल करना काफी मु’श्कि’ल होने वाला है।
दरअसल महाराष्ट्र में बीजेपी के तीन प्रमुख ओबीसी नेता गोपीनाथ मुंडे, एकनाथ खडसे और विनोद तावडे विधानसभा चुनाव से बाहर हैं। यही वजह है कि इस बार खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ओ’बी’सी वोटों को साधने रखने की क’वाय’द शुरू कर दी है। इस मामले में महाराष्ट्र में ओबीसी नेता नितिन चौधरी का कहना है कि ओबीसी वर्ग के विभिन्न समुदायों में एक सश’क्त नेटवर्क ना होने के चलते वह सब एक मंच पर नहीं है।
बदले हुए रा’जनी’तिक माहौल में ओ’बी’सी का बीजेपी में कोई चेहरा नहीं है लेकिन फिर भी वोटर और कार्यकर्ता बीजेपी के साथ हैं। महाराष्ट्र की सि’या’सत में ओबीसी एक बड़ी ता’कत है, लेकिन मराठा वर्चस्व की रा’जनी’ति के चलते उन्हें वो सि’या’सी मु’काम नहीं मिल सका। यही वजह है कि इतनी बड़ी आबादी होने के बाद भी महाराष्ट्र में एक भी सीएम ओ’बी’सी समुदाय से नहीं बना। जबकि, महाराष्ट्र बीजेपी का रा’जनीति’क आ’धा’र मज’बूत होने में ओ’बी’सी समुदाय की अहम भूमिका रही है।
जिसमें बीजेपी के तीनों ओबीसी नेताओं ने अहम भूमिका निभाई थी। बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे का नि’ध’न हो जाने के बाद पार्टी ने एकनाथ खडसे और विनोद तावडे को इस बार चुना’वी मैदा’न में नहीं उतारा है। इस तरह से चुनावी मैदान में बीजेपी की तरफ से कोई भी ओ’बी’सी चेहरा चुनावी दं’ग’ल में नहीं खड़ा है। जिसका फायदा विप’क्षी पा’र्टि’यों को हो सकता है।