बुध का कर्क राशि में गोचर, आप पर कैसा असर डालेगा देख लीजिए और अभी संभल जाएं
ज्योतिर्विद बब्बन कुमार सिंह 8989098404
(21 जून से 26 अगस्त) ज्योतिष शास्त्र में बुध को बुद्धि का कारक माना जाता है. यह शिक्षण, गणित, वाणी, तर्क, ज्योतिष, लेखन, प्रकाशन, रंगमंच, लेखाकार, व्यवसाय, व्यापार इत्यादि का कारक है. बुध ग्रह का शरीर में स्नायु तंत्र, मस्तिष्क, कंठ-ग्रंथी, त्वचा, गर्दन,जिह्वा, बुद्धि इत्यादि पर अधिकार हैं.
अच्छे बुध वाला व्यक्ति हमेशा उत्तम निर्णय लेकर उचित कार्य करता है. राशि चक्र की तीसरी राशि मिथुन एवं छठी राशि कन्या के स्वामी बुध जिस भी भाव में दाखिल होते हैं उसके अनुसार परिणाम देते हैं. साथ ही बुध के साथ जिस प्रकृति का ग्रह बैठा हो तो बुध का परिणाम भी उक्त ग्रह की प्रकृति के अनुसार होता है. बुध की मित्रता सूर्य, शुक्र और राहू के साथ हैं तो वहीं चंद्रमा को ये अपना शत्रु मानता है। शनि, मंगल, बृहस्पति और केतु के साथ बुध का बंध समत्व है। बुध अश्लेषा, ज्येष्ठ और रेवती इन तीन नक्षत्रों के स्वामी ग्रह हैं. यदि कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में है यथा 3,6,8,12 भाव का स्वामी है या उक्त भाव में बैठा है और बुध अपने गोचर में भी त्रिक आदि भाव में गोचर कर रहा है तो निश्चित ही उपर्युक्त कारकत्व को हानि प्रदान करेगा. साथ ही कुंडली में बुध की स्थिति भी इस मामले में निर्णायक भूमिका निभाता है.
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ज्योतिर्विद बब्बन कुमार सिंह 8989098404 गत 2 जून को बुध ने राशि परिवर्तन कर मिथुन में प्रवेश किया था, अब 20-21 जून 2019 को सुबह 2 बजकर 19 मिनट पर बुध मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश करेगा. यहां बुध दो महीने 5 दिन रहने जा रहा है. यह 20 की देर रात यहां आएगा और 25 अगस्त को यहां से सिंह राशि के लिए प्रस्थान करेगा. मूलतः बुध किसी राशि में 22-25 दिन रहता है लेकिन पिछले कुछ महीने में ये दो बार 15 दिन से कम समय में किसी-किसी राशि को पार किया है. इसलिए कर्क राशि के इस गोचर में ये वक्री गति से 8 से 1 अगस्त के बीच गोचर करेगा. इस दौरान ये 30 जुलाई से 3 अगस्त तक मिथुन में भी गोचर करेगा. गोचर का ये काल बुध और गुरु प्रभावित जातकों के लिए बहुत अच्छा हो सकता है क्योंकि बुध वर्गोत्तम होगा और उभय राशियों के लिए महापुरुष योग भी बनाएगा. संयोग से इस समय ये राहु से भी बहुत दूर होगा.
बुध के राशि परिवर्तन के अगले ही दिन मंगल कर्क राशि में प्रवेश करेगा और पुनः बुध के साथ युति बना लेंगे. पिछले कुछ समय से ये युति बनी हुई है और 18 जून को दोनों के बीच ग्रह युद्ध की स्थिति थी. 9 जुलाई को बुध वक्री हो जाएगा और पुनः 1 अगस्त को वक्री से मार्गी हो जाएगा. हालांकि 18-19 जून को इनके बीच ग्रह युद्ध हो चुका है लेकिन 21-22 जून को सावधान रहना चाहिये क्योंकि मंगल-बुध कर्क में जाने के दौरान नजदीक और अंशात्मक रूप से कमजोर होंगे. इस समय मकर के जातकों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि छठे भाव का असर हो सकता है. हालांकि ये युति पुनर्वसु में हो रहा है इसलिए इसपर गुरु ग्रह की कृपा रहेगी.
एक बार फिर मंगल-बुध नई राशि में 15 जुलाई तक 5 अंश की युति में होंगे. जब 7 जुलाई को बुध वक्री होगा तो एक बार फिर 8-9 जुलाई को एक अंश पर होंगे और इनके बीच युद्ध की स्थिति बनेगी. इसी समय सूर्य भी राहु के साथ एक अंश पर होगा. इसलिए इस दौर में दुनिया भर में तनाव की स्थिति रहेगी. लोगों को बहुत सावधान रहना चाहिए खासतौर पर सरकार और प्राधिकार से जुड़े लोगों को शांति बनाये रखना चाहिए.
अस्त बुध
17 जुलाई को सूर्य कर्क में आ जायेगा और इसका बुध के साथ बुधादित्य योग बनेगा. लेकिन बहुत नजदीक होने के कारण इस दौरान बुध 15-28 जुलाई तक अस्त हो जाएगा. 21 जुलाई को ये दोनों एक ही अंश पर होंगे. इसलिए इसके दो दिन पहले से दो दिन बाद तक बाजार में तेजी-मंदी का दौर आ सकता है. गौर करने की बात है कि जब भी सूर्य-बुध एक से डेढ़ नवांश में होता है बाजार में लोगों को धैर्य बरतना चाहिए अन्यथा वे तेजी-मंदी के शिकार हो सकते हैं. इस दौर में बुध वक्री गति से चल रहा होगा इसलिए भी इस समय बेहद सावधान रहना चाहिए.
शुक्र-बुध युति
2526 जुलाई को शुक्र बुध के साथ एक अंश में होगा इसलिए इस समय भी सचेत रहें. हालांकि दोनों मित्र ग्रह हैं लेकिन कई जातकों के लिए ये दोनों में से कोई एक कुंडली में अशुभ प्रभाव देने वाला होगा तो उन्हें इस समय तनाव का सामना करना पड़ सकता है. खासतौर पर शुक्र और बुध की राशियों के अतिरिक्त वृश्चिक राशि वाले सावधान रहें.
पुनर्वसु (20-23 जून और 22 जुलाई से 9 अगस्त)
कर्क राशि में सबसे पहले बुध पुनर्वसु नक्षत्र के अंतिम चरण से गोचर करेगा. ये अंश पुष्कर अंश है. संयोग से ये पुष्य नक्षत्र में जाने के बाद वापस फिर से पुनर्वसु के तीसरे (मिथुन नवांश) और चौथे चरण (कर्क नवांश) आएगा. इस कारण इसका गोचर अपने नक्षत्र अश्लेशा में सबसे कम सात दिनों का होगा.
पुनर्वसु का संबंध अष्ट वसुओं और वृहस्पति से होने के कारण बहुत शुभ माना गया है. हालांकि ये नक्षत्र अर्थ प्रवृत्ति का है लेकिन इसका कर्क वाला चरण तो वर्गोत्तम और पुष्कर अंश में होने के कारण अति शुभ माना गया है. यहां गुरु सबसे उच्च स्थिति में होता है. इसका एक अर्थ पुनर्वसावट भी है. प्रायः आर्द्रा नक्षत्र के नाटकीय प्रभाव से निकले ग्रह यहाँ बहुत राहत महसूस करते हैं क्योंकि वृहस्पति, देवी अदिति और वसुओं के प्रभाव से यहाँ फिर से दुनियादारी में वापस आने का मौका मिलता है. इसलिए इस नक्षत्र के प्रभाव से व्यक्ति स्वयं से उठकर समाज के बारे में सोचना शुरू करता है लेकिन फिलहाल पिछले 20 दिनों से बहुतेरे तामसिक प्रभाव के कारण बुध बहुत परेशान है और कर्क में भी मंगल, सूर्य और शुक्र के साथ युति संबंधों में ये सहज नहीं हो पायेगा. इसलिए बुध के इस गोचर से बहुत उम्मीद बंधना गलत होगा. हां, इतना जरूर होगा कि मिथुन राशि के ताप से कुछ हद तक मुक्ति मिलेगी. लेकिन इस दौर में विशेष रूप से वक्री गति के दौर में छाती, फेफड़ा, यकृत, दमा आदि बिमारियों से प्रभावित जातक डॉक्टर के संपर्क में बने रहें. इस दौर में कुछ लोग अपनी साहित्यिक कृति के कारण चर्चा में आ सकते हैं. लेकिन इस दौर में धर्म संस्थाओं से जुड़े लोग अपनी कारगुजारिओं के कारण बदनाम भी हो सकते हैं. इस दौर में किसानों को भी अपनी फसल का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि अति वृष्टि, सुखा या तूफ़ान के कारण उनकी फसल ख़राब हो सकती है .इस दौर में पड़ने वाले अष्टमी तिथि को विशेष सावधान रहें क्योंकि पुनर्वसु से इसका विशेष संबंध होता है.
पुष्य (23 जून से 22 जुलाई और 9-19 अगस्त)
मूल रूप से ये नक्षत्र धर्म व अध्यात्म भाव का पोषक है और पुष्य नक्षत्र का एक प्रतीक फूल भी है और इसके देवता वृहस्पति हैं (हालांकि दशा क्रम में शनि इसके मालिक हैं) इसलिए व्यावहारिक ग्रह बुध इसे संशय की दृष्टि से देखता है लेकिन ये यहां जरूरत के हिसाब से बदलता भी रहता है. यहां स्थित बुध प्रभावशाली और धनी लोगों के साथ दोस्ती गाँठ बांधने में विश्वास करता है लेकिन सात्विक ग्रहों के प्रभाव में नक्षत्र के मूल प्रभाव धर्म और अध्यात्म को बढ़ाने में मदद ही करता है. लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी बदली-बदली है.
इसी दौर में बुध अस्त होगा और मंगल और शुक्र के साथ युद्ध की स्थिति में होगा. पहले से ही बुध बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है और यहां आकर भी ये तीन-तीन ग्रहों के दबाव में होगा इसलिए इससे यहाँ बहुत उम्मीद बांधना उचित नहीं. इसलिए इस काल में भी बहुत सावधान रहना चाहिए और किसी बड़े फैसले से बचना चाहिए. लेकिन 9-19 अगस्त को जब बुध पुष्य नक्षत्र में सीधी गति से चलेगा तो कुछ हद तक इस नक्षत्र के मूल प्रभाव पोषण, शिक्षा, आध्यात्मिक विकास आदि में वृद्धि करेगा. खास तौर पर पुष्य के दूसरे चरण में ऐसा प्रभाव सबसे ज्यादा देखा जाएगा. पुष्य के दूसरे नवांश में प्रायः बुध शुभ प्रभाव देता है क्योंकि यहां बुध का कन्या नवांश पड़ता है और ये पुष्कर अंश भी है. शुक्र को छोड़ प्रायः सभी
ग्रह यहाँ शुभ प्रभाव देते हैं.
इस नक्षत्र का राशी स्वामी चंद्र दिमाग को सूचित करता है जबकि दशा स्वामी शनि तत्व को सूचित करता है इसलिए जिन लोगों की कुंडलियों में शनि-चंद्र की स्थिति शुभ हो और वे शुभ दशा-भुक्ति से गुजर रहे हों और गुरु का सहयोग हो तो वे बहुत आसानी से बुध के इस गोचर में अच्छा धन कमा सकते हैं. हालांकि विपरीत स्थिति में बहुत से जातक इस दौर में अपने जिद्दीपन और अपनी संकुचित सोच के कारण अपना धन गवां भी सकते हैं. लेकिन शनि और चंद्र दोनों आम जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए पुष्य नक्षत्र के गोचर के इस दौर में बुध के नकारात्मक प्रभाव में किसी बड़े नेता के साथ कोई अनहोनी हो सकती है या चरित्र हनन हो सकता है या वे सरकार के कोप के भागी हो सकते हैं. पुष्य दसमी तिथि से जुड़ा है इसलिए इस समय में भी इसके अच्छे-बुरे प्रभाव दर्ज हो सकता है.
अश्लेषा नक्षत्र (19-26 अगस्त)
अश्लेषा नक्षत्र धर्म भाव से जुड़ा है हालांकि नाग देवता से जुड़े होने के कारण इसे बहुत नकारात्मक दृष्टि से देखा जाता है. लेकिन ये नक्षत्र हमारे गुप्त ज्ञान का रक्षण करता है. नाग देव उसके रक्षण के लिए ही यहां नियुक्त हैं. हालाँकि दशा क्रम में बुध इसका स्वामी ग्रह है लेकिन धर्म भाव के पोषक और गुप्त व रहस्यमयी ज्ञान का रक्षण के कारण बुध इसे बहुत पसंद नहीं करता. चूंकि बुध सहज बोध और व्यावहारिक ज्ञान का सूचक है और परिस्थितियों के अनुसार अपने को बदल लेता है इसलिए यहां उसे अपने व्यावहारिक बुद्धि का प्रयोग गुप्त ज्ञान और आध्यात्मिक विकास के लिए करना होता है. इस गोचर में बुध अकेला होगा इसलिए यह अपनी बुद्धि लगाकर रहस्य और गुप्त ज्ञान को खोजने की कोशिश करेगा. मात्र सात दिन के इस गोचर में कुंडली में गुरु-बुध से प्रभावित कुछ लोग कुछ रहस्यमय वैज्ञानिक खोज कर सकते हैं.अंतिम दो दिन बुध गंडांत स्थिति में होगा इसलिए उस समय भी सावधानी बरतनी चाहिए.
मेष राशि-मेष राशि वालों के बुध का परिवर्तन चतुर्थ घर में हो रहा है. जो जातक घर या गाड़ी खरीदने के लिये प्रयासरत हैं उनके लिये समय अनुकूल कहा जा सकता है. प्रॉपर्टी संबंधी मामले में विवाद की आशंका है हालांकि आप नए घर का निर्माण कार्य शुरू कर सकते हैं. इस दौर में आप अपनी बात को दूसरों के सामने अच्छे से रख पाएंगे और मित्रों से भी आपको पूरा सहयोग मिलने की संभावना है. इस समय आपको कार्यस्थल पर अपने से उच्च अधिकारियों और सहकर्मियों का भरपूर साथ प्राप्त होगा. मीडिया, लेखन और मार्केटिंग सेल्सप के जातकों को लाभ होगा, मातृ पक्ष से सहायत का योग है हालांकि चतुर्थ भाव में बुध का गोचर आपके माता-पिता की सेहत में गड़बड़ कर सकता है. जीवन साथी के प्रोफ़ेशनल स्टेट्स में वृद्धि होने की प्रबल संभावना है.इस दौर में छोटी-छोटी यात्राएं आपको करनी पड़ सकती हैं. खर्च बढ़ने के भी आसार हैं. इसलिए अपनी जेब पर नियंत्रण रखें. उपाय: शुक्ल पक्ष के बुधवार के दिन सुबह के समय ब्राह्मणों को यथासंभव दक्षिणा फल दान करें उनके चरण स्पर्श करें.
वृषभ राशि-तीसरे स्थान में बुध. यह समय आपके भाग्य में उन्नति लाने वाला रह सकता है. जो जातक नये कार्य का आरंभ करना चाहते हैं उनके लिये भी समय सौभाग्यशाली रह सकता है. आप अपनी बुद्धि व कौशल का परिचय देते हुए कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं. इस दौर में भाई बहनों से आपका प्रेम बढ़ेगा. कामकाज के सिलसिले में की गई छोटी मोटी यात्राएं सफलतादायक रहने के आसार हैं. किसी नए रिश्ते की शुरुआत भी कर सकते हैं लेकिन इस मामले में सतर्कता से काम लें. वैवाहिक जीवन इस दौरान सामान्य रहेगा लेकिन मतभेद की स्थिति से बचने का प्रयास करें. छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा में अच्छे परिणाम दिला सकता है. उपाय: सुबह के समय गाय को हरा चारा खिलाएं.
मिथुन राशि; राशि से दूसरे भाव में बुध. इस समय आप अपने भीतर एक नई ऊर्जा को महसूस कर सकते हैं. बुध का गोचर आपकी वाणी में मिठास के साथ साथ बुद्धि बढ़ाएगा और धन-धान्य की वृद्धि भी करेगा, घर खरीदने का सपना साकार हो सकता है. जीवनसाथी के साथ अच्छास वक्त बिताने को मिलेगा. आप दोनों कहीं बाहर घूमने का भी प्लान बना सकते हैं। विवाहित जातकों को ससुराल पक्ष की ओर से कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है. इस समय आप अपने प्रतिद्वंदियों को करारा जवाब देने में सक्षम होंगे. उपाय: भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें उन्हें पीले फल अर्पण करने के साथ-साथ चंदन लगाएं.
कर्क राशि-राशि में गोचर. इस समय स्वास्थ्य को लेकर आपको सचेत रहने की आवश्यकता है. इसके कारण खर्चों में बढ़ोतरी भी हो सकती है. इस गोचर काल में नौकरी से जुड़े लोगों के लिए समय अच्छा है. आप कार्यक्षेत्र में अपने अच्छे काम से सबको प्रभावित करेंगे. आपको विदेशी स्रोत से ज़बरदस्त लाभ मिलने की संभावना है, आपको भाई बहनों का भरपूर सहयोग प्राप्त होगा और किसी भी मुसीबत की स्थिति में आप हमेशा उन्हें अपने साथ पाएंगे. इस दौरान आपको अपने जीवनसाथी से ख़ासा लाभ प्राप्त होने की भी संभावना बन रही है. हालांकि इस समय आपका मन भी काफी चंचल, अस्थिर रहने के आसार हैं क्योंकि अधिकतर समय सेहत को लेकर परेशान रह सकते हैं. उपाय: सोमवार या बुधवार के दिन भगवान शिव के मंदिर में कपूर का दान करें और नमः शिवाय का जाप करें.
सिंह राशि-व्यय भाव में. यह समय आपके लिये खर्चों में बढ़ोतरी करने वाला रहा सकता है. हालांकि ये खर्च सुख-सुविधाओं को बढ़ाने के लिये होगा. इस समय महत्वपूर्ण निर्णयों को लेकर आप असमंजस की स्थिति में भी रह सकते हैं. इसलिए इस समय जोखिम वाले कार्यों में धन निवेश न करें तो बेहतर है. हालांकि कामकाज के लिहाज से फायदेमंद समय. भविष्य में फल प्राप्ति. आप इस दौरान उन विषयों में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं जिनमें आप कमजोर हैं. यात्राओं के योग भी आपके लिये बन रहे हैं. यदि आप किसी प्रकार के व्यापार से जुड़े हैं, तो आपको इस अवधि में किसी लंबी यात्रा पर जाना पड़ सकता है जो फायदेमंद होगा. इस समय संपत्ति की बिक्री का सौदा आपके लिये लाभकारी रह सकता है. इस वक्तग संभव हो सके तो डॉक्टआर के पास जाकर आप अपना बॉडी चेकअप भी करा लें। उपाय: छोटी कन्याओं को पढ़ने-लिखने में मदद करें.
कन्या राशि-लाभ भाव में बुध. ऐसे में यह समय आपके लिये कार्यों में सफलता तो जीवन में सुख प्रदान करने वाला रहने के आसार हैं. बड़े भाई या अपने नेटवर्क से भी सुख व धन प्राप्ति के योग हैं. कुछ लोगों को रुका हुआ धन दिलाएगा. इस दौरान बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास हो सकता है. किसी नए रिश्ते की शुरुआत भी कर सकते हैं. रोमांटिक जीवन की बात करें तो जीवन साथी का भरपूर सहयोग आपको मिल सकता है. धर्म-कर्म के कार्यों में आपका मन लगेगा. इसके प्रभाव से आप कठिन से कठिन परिस्थिति से बाहर निकल आएंगे. उपाय: सुबह के समय श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं.
तुला राशि- तुला जातकों के लिये कर्मक्षेत्र में. कोई नया व्यवसाय या फिर नई नौकरी के अवसर तो उपलब्ध हो सकते हैं. रंगमंच, संगीत, साहित्य और रचनात्मक क्षेत्र से जुड़े जातकों के लिए बहुत ही सौभाग्यशाली समय रहने की संभावनाएं हैं. इस दौरान किसी विदेशी स्रोत से आपको मुनाफ़ा प्राप्त हो सकता है. लेकिन इस समय केवल और केवल आपके कर्म पर आपको फल मिलेगा. उपाय: हर बुधवार के दिन अपनी बहन हुआ या बेटी को कुछ मिठाई अवश्य खिलाएं.
वृश्चिक राशि- बुध का परिवर्तन भाग्य स्थान में. बुध का ये गोचर कुछ उतार चढ़ाव लाएगा. इस दौर में नये लोगों से जुड़ने के अवसर आपको मिल सकते हैं और तथा आय के स्रोत भी बढ़ेंगे. अचानक ही किसी यात्रा पर जाना पड़े. इसी तरह विद्यार्थियों की पढ़ने लिखने में रुचि बढ़ेगी. छात्रों को इस दौरान उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने का अवसर भी प्राप्त हो सकता है. माता-पिता और परिवार के साथ समय बिताने के लिए एकदम सही समय है. लेकिन माता की सेहत का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता. इस समय धार्मिक व आध्यात्मिक विकास का समय हो सकता है. योग साधना करके एकाग्रता को बढ़ाया जा सकता है. इस समय आपको अपने प्रतिस्पर्धियों से सचेत रहने की आवश्यकता होगी. उपाय: बुधवार के दिन गाय को पालक खिलाएं.
धनु राशि-अष्टम भाव में बुध का गोचर. अपनी सेहत के प्रति भी इस समय सचेत रहें. रोमांटिक जीवन में भी सावधान रहें क्योंकि मंगल के साथ के कारण विवाद हो सकता है. दांपत्य जीवन में विवाद दिख रहा है. दर्शन, मनोविज्ञान और ज्योतिष आदि विषयों में रूचि बढ़ने का समय. आपके पिता को धन हानि हो सकती है जिससे पारिवारिक स्थिति थोड़ी डांवाडोल रहेगी. कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों में आपको सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना है, लेकिन धनु जातकों के लिये यह समय अपने धैर्य का परिचय देने का है. जल्दबाजी में लिया गया निर्णय आपके लिये हानिकारक हो सकता है. उपाय: भगवान विष्णु के 108 नामों का जाप करें.
मकर राशि – सप्तम भाव में बुध. परिवार में आपको भरपूर आनंद मिलने के आसार हैं. लेकिन दांपत्य जीवन में विवाद न बनने दें. मकर जातकों के लिये विवाह के योग भी बन रहे हैं विशेषकर मकर कन्याओं को अच्छा रिश्ता मिल सकता है, बुध का गोचर आपके व्यापार व्यवसाय में उन्नति करेगा. जो लोग अपनी जॉब को बदलने के बारे में सोच रहे हैं उनके लिए अनुकूल समय है, प्रॉपर्टी में निवेश और शेयर बाजार में पैसा लगाना फायदेमंद साबित हो. आपके पिता को विशेष धन लाभ होने की संभावना है. साथ ही माता की सेहत में हो रही गिरावट में सुधार आ सकता है. सुख-सुविधाएं जुटाने के लिये आप अपने खर्चों में बढ़ोतरी भी कर सकते हैं. उपाय: जरूरतमंद किन्नरों को वस्त्र-भोजन का दान करें.
कुंभ राशि- छठे भाव में गोचर. स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें. बुध के परिवर्तन से आप उदर संबंधी समस्याओं को महसूस कर सकते हैं. व्यवसायी जातकों के खर्च बढ़ सकते हैं और किसी नई परियोजना के लिये कर्ज़ भी लेना पड़ सकता है. कोर्ट कचहरी में कोई मामला चल रहा है तो फैसला आपके हक़ में आने की पूरी संभावना है. इस दौरान आपको पुराने किसी कर्ज से मुक्ति मिल सकती है. इस दौर में प्रतियोगी परीक्षा में लाभ प्राप्त हो सकता है. छात्रों को उनकी मेहनत का फल इस दौरान ज़रूर मिलेगा. लेकिन इस दौर में अपने वाणी पर संयम रखें और नकारात्मक विचार से बचें. उपाय: पीपल के वृक्ष के नीचे गाय के घी का दिया जलायें.
मीन राशि- पंचम भाव में बुध. परिवार के हिसाब से अच्छा समय. कुछ लोग के लिए संतान प्राप्ति का समय. इस दौरान आपको नई चीजों और स्किल के बारे में जानकारी प्राप्त होगी. जो जातक नया कार्य आरंभ करने के इच्छुक है उनके लिये भी समय अनुकूल है. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले जातकों के लिये भी यह समय काफी अच्छा रह सकता है. गणित और वाणिज्य जैसे विषयों में छात्रों का प्रदर्शन खासतौर से अच्छा रहेगा. प्रेम विवाह होने की संभावना भी बन सकती है. हालांकि मंगल के साथ होने के कारण इससे बचें. इस दौर में कुछ जातक विदेश जाने का मन भी बना सकते हैं. उपाय: जरूरतमंद लोगों को फल सब्जियां दान करें.