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कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में कही ऐसी बात कि मध्य प्रदेश मामले में आ सकता है मोड़..

सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश मामले को लेकर सुनवाई चल रही है. आज भी अदालत में ज़ोरदार बहस हुई. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि किस तरह की राजनीति है कि हम उनके (कांग्रेस विधायकों के) पास नहीं जा सकते, ना उनसे मिल सकते हैं. मध्य प्रदेश के स्पीकर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रख रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि विधायकों का इस्तीफा पर फैसला करना स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में है. बीजेपी की याचिका उनके अधिकार में दखल है.

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम उनसे कैसे कहें कि वह आप से मिलें इस पर सिब्बल ने कहा कि आपको (सुप्रीम कोर्ट) कहने की जरूरत नहीं है. आप सिर्फ यह सुनिश्चित करें कि वह जहां चाहें वहां जा सकें.सिब्बल ने आगे कहा कि दिल्ली एअरपोर्ट से उड़ान भर रहे हैं.. सिब्बल ने कहा कि दिल्ली एयरपोर्ट से उड़ान भर रहे हैं. यह केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित एक उच्च सुरक्षा क्षेत्र है और उन्होंने वहां से उड़ान भरने की अनुमति दी है. कोई भी उनसे मिलने में सक्षम नहीं है. क्या यह स्वतंत्र शख्स की परिभाषा है?

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा सिब्बल से सवाल किया कि क्या फ्लोर टेस्ट करना बेहतर नहीं होगा? सिब्बल ने इस पर अदालत को बताया कि कैसे विधायकों को आईटीसी, मानेसर ले जाया गया.उन्होंने कहा कि यदि सर्वोच्च न्यायालय कानून बनाएगा तो न्यायालय को यह जानना चाहिए कि ये गतिविधियाँ विभिन्न राज्य विधानसभाओं में दोहराई जानी हैं. सीएम कमलनाथ का पक्ष रख रहे वकील कपिल सिब्बल ने सवाल किया कि क्या राज्यपाल अपनी शक्ति का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए कर सकते हैं क्योंकि विपक्षी दल का कहना है कि हमारे साथ सत्तारूढ़ दल का सदस्य है, इसलिए सरकार बहुमत खो चुकी है!

सिब्बल का तर्क है कि यदि बा’ग़ी विधायक स्वतंत्र है, तो उन्हें विधानसभा में आने और मौजूदा सरकार वोट देने से क्या रोक रहा है? सिब्बल ने कहा कि जैसा बीजेपी और बागी विधायक चाहते हैं, उस तरह अगर वह कानून की व्याख्या करे तो वह संवैधानिक ढांचे को ध्वस्त करने के लिए प्रोत्साहित करेगी. इसके बाद कपिल सिब्बल ने कहा कि ये एक अनूठा मामला है जहां राज्यपाल फ्लोर टेस्ट के लिए कह रहे हैं जबकि किसी भी पक्ष ने बहुमत का दावा नहीं किया है.

स्पीकर की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा,”इस्तीफा देने वाले 16 विधायकों को नई सरकार से लाभ मिलेगा. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- जबअध्यक्ष निर्णय नहीं लेंगे हैं तो आप परिस्थितियों से कैसे निपटेंगे?, सिंघवी ने कहा कि यह न्यायालय समय-सीमा दे सकता है. दो सप्ताह या उससे ज्यादा. स्पीकर ने पहले ही इन विधायकों को नोटिस जारी कर दिए हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा,”क्या होगा अगर राज्यपाल कार्रवाई नहीं करते हैं.दूसरा पक्ष भी देखें… दोनों पक्षों से आशंका व्यक्त की जा रही है, क्या होगा अगर वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्पीकर के सामने आते हैं, तो क्या आप निर्णय लेने के लिए तैयार हैं?”

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