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एक स्वयंसेवक निकाल रहा संघ का दैनिक अखबार

एकात्म भारत नाम के इस अखबार में होगी संघ परिवार के कार्यकर्ताओं से जुड़ी खबरें

समाज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बढ़ते प्रभाव के साथ ही अब संघ और उससे जुड़े संगठनों के कार्यकर्ताओं की गतिविधियों का दैनिक अखबार भी शुरू हो रहा है। लेकिन इससे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि एकात्म भारत नाम के इस अखबार को संघ का ही एक स्वयंसेवक निकाल रहा है और वो स्वयंसेवक इसे अकेले ही निकाल रहा है। फिलहाल इस अखबार की डमी निकल रही है और अधिकारिक रुप से इसे 25 या 27 सितंबर से शुरु किया जाएगा।

इन अनोखे अखबार को निकाल रहे हैं सुचेंद्र मिश्रा। वे 2002 से स्वयंसेवक हैं और इसके साथ ही पत्रकार भी हैं। वे दस साल के पत्रकारिता जीवन में दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका जैसे अखबारों में काम कर चुके हैं। इस अखबार के बारे में उन्होंने बताया कि एकात्म भारत चार पेज का दैनिक अखबार है। जो कि राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं की गतिविधियों को समर्पित है। इसके साथ ही इस अखबार का एक उद्देश्य और है कि कार्यकर्ता मीडिया से जुड़ें और लिखना सीखे ताकि वे अन्य नियमित मीडिया में भी अपनी खबरें और लेख आदि भेज सकें। एक तरह से एकात्म भारत कार्यकर्ताओं के लिए मीडिया प्रशिक्षण का भी काम करेगा।

मिश्रा ने बताया कि एकात्म भारत फिलहाल ई-पेपर के रूप में शुरू किया जा रहा है। फिलहाल इसे फेसबुक ट्विटर के जरिए सीमित दायरे में सर्कुलेट किया जा रहा है ताकि इसके बारे में संगठन के कार्यकर्ताओं की राय ली जा सके। लेकिन इसके बावजूद इसे पढ़ने वालों की संख्या केवल 4 दिनों में ही 20 हज़ार प्रतिदिन पंहुच गयी है। जबकि पहले दिन इसे केवल 500 लोगों ने पढ़ा था। इस तरह से चार दिन में ही इस अखबार की प्रसार संख्या में 4000% की वृद्धि हो चुकी है। मिश्रा ने बताया कि इस अखबार को फेसबुक पर दैनिक एकात्म भारत नाम से पेज पर पेपर को पढ़ा जा सकता है। इसके अलावा टि्वटर पर इसे @EkatmaBharat पर भी पढ़ा जा सकता है। फिलहाल इसकी वेबसाइट www.ekatmabharat.com का काम चल रहा है। कुछ समय बाद इसका ई-पेपर इस पर भी उपलब्ध होगा।

खबरों से लेकर डिजाइन तक खुद का

इस अखबार की खास बात ये बात ये है कि इसे केवल एक व्यक्ति ही निकाल रहा है। सुचेंद्र मिश्रा अपने घर की डायनिंग टेबल पर इस अखबार के लिए समाचार तैयार करने से लेकर पेज बनाने तक के काम स्वयं करते हैं। वे कहते हैं कि यह कोई व्यावसायिक अखबार नहीं हैं। इसके चलते इससे कोई आय भी नहीं है। ऐसे में मैं इसके लिए ऑफिस और स्टॉफ पर पैसे खर्च नहीं तक सकता हूं। इसके चलते ही ये सारे काम मैं ही कर रहा हूं। इसे शुरू करने में विभिन्न पंजीयन तथा वेबसाइट पर वे अब तक तीस हजार रुपए खर्च कर चुके हैं।

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