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KBC में जीते 5 करोड़, फिर शुरू हुआ बदकिस्मती का दौर, सुशील की कहानी उन्ही की जुबानी

कौन बनेगा करोड़पति में हर साल कुछ लोगों की किस्मत के ताले खुलते हैं और लोग इस शो से करोड़ों की रकम जीतकर वापसी करते हैं। ऐसे में हर व्यक्ति की जिंदगी करोड़पति बने के बाद बदल जाती है। कई बार यह बदलाव अच्छे होते हैं, तो कई बार एक बुरा सबक दे जाते हैं। यह कहानी है साल 2011 के कौन बनेगा करोड़पति शो के विनर रहे सुशील कुमार की।सुशील कुमार ने अपनी आपबीती खुद फेसबुक के जरिए लोगों को सुनाई है। उन्होंने बताया है कि कैसे केबीसी से जीती हुई 5 करोड़ की रकम के साथ उनका बुरा दौर शुरू हो गया।

फेसबुक के जरिए सुनाया 2011 से अब तक का सफर

कौन बनेगा करोड़पति के साल 2011 के विनर रहे सुशील मोदी ने अपनी आपबीती सुनाते हुए फेसबुक पर अपने साथ हुई 2011 के बाद से लेकर अब तक की सारी घटनाओं को सिलसिलेवार बताया है। उन्होंने बताया कि किस तरह शो जीतने के बाद वह एक सेलिब्रिटी बन गए। मीडिया कई बार उनके इंटरव्यू लेने आती और उन्हें धीरे-धीरे इस सब का चस्का लग गया। इस बीच पढ़ाई-लिखाई से उनका ध्यान बिल्कुल हट गया।

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हर बार डूब गया व्यापार

केबीसी में जीती हुई रकम से उन्होंने कई बार छोटे-छोटे व्यापार भी शुरू करने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें नाकामी ही हासिल हुई। सुशील ने बताया कि इस दौरान कई बार उन्हें व्यापार के ऑफर भी आए, जिसमें जब उन्होंने पैसा डाला तो उन्हें पता चला कि वह मामले ठगी के थे। इस दौरान उनसे कई बार ठगी भी हुई। ऐसे में लगातार उनका पैसा डूब रहा था। वही लगातार हो रहे घाटे के बाद जब पत्नी ने उन्हें समझाने की कोशिश की तो पत्नी से भी उनकी अनबन होने लगी। अनबन के चलते पारिवारिक रिश्ते बिगड़ने लगे।

नशे की लग गई लत

काफी बार नाकामी हाथ लगने के बाद सुशील कुमार ने दिल्ली का रुख किया और कुछ कारे खरीदी ली। इसके बाद वह दिल्ली में ही उन्हें चलवाने लगे। ऐसे में बिहार से दिल्ली उनका आना-जाना बढ़ गया। इस दौरान उनकी मुलाकात कुछ जामिया मिलिया और IIMC के मीडिया के बच्चों से हुई। मीडिया की तरफ उनका रुझान पहले से ही बढ़ने लगा था, ऐसे में जेएनयू के रिसर्च के छात्रों और थिएटर आर्टिस्ट से मिलकर उन्हें अच्छा लगने लगा। बातचीत बढ़ने लगी और उनकी दोस्ती कई ऐसे लोगों से हो गई, जिन्हें नशे की लत थी। उनके साथ रहते-रहते सुशील कुमार को भी नशे की लत लग गई।

मुबंई में भी नहीं मिली सफलता

सुशील कुमार ने बताया कि खाली समय में वह हॉलीवुड और हिंदी फिल्में देखने लगे, जिनमें अधिकांश नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म, ऑस्कर विनिंग फिल्म और सत्यजीत रॉय की फिल्में शामिल होती थी। इसके बाद उन्होंने निर्देशक बनने का सपना ठान लिया। निर्देशक बनने की राह में वह मुंबई पहुंच गए, लेकिन वहां पहले टीवी में काम करने की सलाह दी गई। इसके बाद उन्होंने काफी समय तक प्रोडक्शन हाउस में काम किया, लेकिन वहां भी उनकी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और थक हार कर उसे भी छोड़कर बिहार वापस आ गए।

सुशील कुमार ने बताया कितने दिन वह मुंबई में रहे उन्होंने खूब फिल्में देखी और किताबें भी पढ़ी। इस दौरान सबसे खास बात ये रही कि खुद को समझने का भी उन्हें काफी मौका मिला। इसके बाद जब वह इस बार बिहार में वापस आए, तो उन्होंने वापस अपनी टीचर की नौकरी का ही रुख कर लिया।

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वह एक बार फिर बच्चों को पढ़ाने लगे तब से लेकर अब तक बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इस दौरान काफी सोच विचार कर उन्होंने नशे को भी छोड़ने का निर्णय कर लिया और साल 2016 में उन्हें इसमें कामयाबी मिली।

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