खेलने-कूदने की उम्र में तरुण सागर के मन में आया था ऐसा ख्याल, 13 साल की आयु में छोड़ दिया था घर

‘बचपन’ में हर बच्चा खेलना-कूदना पसंद करता है। इस समय को बच्चे फुल मस्ती के साथ जीना चाहते हैं क्योंकि इसी में उन्हें जीवन का भरपूर आनंद मिलता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत की कहानी से रू-ब-रू कराएंगे जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान होंगे। जी हां, जिनकी बात हम करने जा रहे हैं उन्होंने अपने बाल्यकाल में ही यह तय कर लिया था कि वे बड़े होकर जैनमुनि बनेंगे।
आप सोच सकते हैं कि छोटे बच्चे अपने बचपन में क्या-क्या बनने के सपना देखते हैं? पायलट, डॉक्टर, इंजीनियर आदि। लेकिन ये बालक साधारण सोच नहीं रखता था। इसने कुछ अलग बनने के बारे में सोचा। खेलने कूदने की उम्र में ही इस बालक ने सोच लिया था कि वह बड़ा होकर जैन मुनि बनेगा। और वास्तव में ऐसा हुआ भी। जी हां, हम बात कर रहे हैं प्रखर वक्ता, जन-जन की आस्था के केंद्र व अपने कड़वे प्रवचनों के लिए जाने जाने वाले जैन मुनि तरुण सागर की।
जैन मुनि तरुण सागर का 51 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्होंने दिल्ली के शाहदरा के कृष्णानगर में शनिवार सुबह 3:18 बजे अंतिम सांस ली. दरअसल, उन्हें पीलिया हुआ था, जिसके बाद उन्हें दिल्ली के ही एक निजी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था. बताया जा रहा है उनपर दवाओं का असर होना बंद हो गया था.
दिगंबर जैन महासभा के अध्यक्ष निर्मल सेठी ने बताया कि मुनिश्री को देखने पांच जैन संत दिल्ली में पहुंच रहे हैं। इनमें सौभाग्य सागर महाराज शामिल हैं। मुनिश्री की तबीयत खराब होने के संबंध में उनके गुरु पुष्पदंत सागर महाराज ने वीडियो मैसेज जारी किया था। इसमें उन्होंने महाराज का समाधि महोत्सव मनाने की अपील की थी।
आपको बता दें कि गुरुवार शाम कुछ अन्य जैन संत भी उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे। 20 दिन पहले मुनिश्री को पीलिया हुआ था लेकिन औषधियां देने के बाद भी उनकी सेहत में सुधार नहीं हो रहा था। उन्होंने इलाज भी बंद करा दिया था और चातुर्मास स्थल पर जाने का निर्णय लिया था।
कहा जा रहा है कि जैन मुनि ने इलाज कराने से भी इनकार कर दिया था और कृष्णानगर स्थित राधापुरी जैन मंदिर चातुर्मास स्थल पर जाने का निर्णय लिया. जैन मुनि तरुण सागर का समाधि शरण (अंतिम संस्कार) दोपहर 3 बजे दिल्ली मेरठ हाइवे स्थित तरुणसागरम तीर्थ पर होगा. उनकी अंतिम यात्रा दिल्ली के राधेपुर से शुरू होकर 28 किमी दूर तरुणसागरम पर पहुंचेगी.
पीएम मोदी और गृह मंत्री ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन मुनि के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि जैन मुनि तरुण सागर के निधन का समाचार सुन गहरा दुख पहुंचा. हम उन्हें हमेशा उनके प्रवचनों और समाज के प्रति उनके योगदान के लिए याद करेंगे. मेरी संवेदनाएं जैन समुदाय और उनके अनगिनत शिष्यों के साथ है.
अपने बयानों को लेकर रहते थे चर्चा में
जैन मुनि तरुण सागर अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते थे. जैन मुनि ने देश की कई विधानसभाओं में प्रवचन दिया. हरियाणा विधानसभा में उनके प्रवचन पर काफी विवाद हुआ था, जिसके बाद संगीतकार विशाल डडलानी के एक ट्वीट ने काफी बवाल खड़ा कर दिया था. मामला बढ़ता देख विशाल को माफी भी मांगनी पड़ गई थी. इस विवाद के बाद आम आदमी पार्टी से जुड़े संगीतकार डडलानी ने राजनीति से अपने आप को अलग कर लिया था.
जैन मुनि तरुण सागर का जन्म मध्य प्रदेश के दमोह में 26 जून, 1967 को हुआ था. उनकी मां का नाम शांतिबाई और पिता का नाम प्रताप चंद्र था. तरुण सागर ने आठ मार्च, 1981 को घर छोड़ दिया था. इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ में दीक्षा ली.