एमपी अजब है, यह सबसे गजब है, पूरे प्रदेश में कुत्तों के तबादले, BJP ने कहा- सरकार ने कुत्तों को भी नहीं बख्शा
मध्य प्रदेश में इन दिनों तबादलों का दौर चल रहा है. मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार में लगातार हो रहे सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों के बीच अब पुलिस के खोजी कुत्तों के भी तबादले हो गए हैं.
मध्यप्रदेश की सरकार की भाजपा नेताओं द्वारा खूब आलोचना की जा रही है। दरअसल, राज्य सरकार ने यहां से 23वीं वाहनी विशेष सशस्त्र बल में कुत्तों समेत 46 हैंडलर के ट्रांसफर के आदेश जारी कर दिए हैं। इनमें स्निफर, नार्को और ट्रेकर कुत्ते शामिल हैं। इन्हें विभिन्न जिलों में नियुक्त करने का आदेश दिया गया है।
सीएम कमलनाथ छिंदवाड़ा से हैं.
लंबे समय तक यहां से सांसद रहे हैं. सीएम आवास की सुरक्षा के लिए उनके गृह जिले से डॉग लाया गया है. सीएम के बंगले की रखवाली अब डफी, रेणु और सिकंदर करेंगे. तीनों स्निफर डॉग हैं. तीनों डॉग अलग-अलग जिले में थे. डफी को छिंदवाड़ा से, रेणु को बैतूल से और सिकंदर को होशांगाबाद से भोपाल लाया गया है. अब तक मुख्यमंत्री आवास की सुरक्षा में तैनात रीमा और जया को हटा दिया गया है. दोनों की उम्र साढ़े आठ साल हो चुकी थी.
बता दें कि मुख्यमंत्री कमलनाथ
की सरकार में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों का दौर जारी है। तबादलों की इस सूची से मुख्यमंत्री कमलनाथ का गृह जिला भी अछूता नहीं रहा। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और भोपाल के हुजूर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार के वश में हो तो वह भूमि और आसमान तक का सौदा कर ले। उन्होंने ट्वीट किया है कि ‘हाय रे बेदर्दी कांग्रेस सरकार कुत्तो को तो छोड़ देते … ! पुलिस विभाग ने किए कुत्तो के थोकबंद तबादले. कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का वश चले और कोई माल देने वाला मिल जाए तो वो जमीन और आसमान का स्वयं के व्यय पर तबादला कर दे।’
सचिव की जगह सरपंच का कर दिया तबादला, इतने व्यस्त हैं मंत्री
शुक्रवार को भाजपा ने मध्यप्रदेश सरकार की आलोचना की थी जब पंचायत सचिव की जगह सरपंच के तबादले का आदेश जारी हो गया था। देवतालाब के विधायक गिरिश गौतम ने कहा कि रेवा जिला पंचायत शिवपुरा की इंचार्ज विभा द्विवेदी की जगह सरपंच बिहारी लाल पटेल का तबादला कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘मंत्री इस कदर व्यत हैं कि पंचायत सचिव की जगह सरपंच का तबादला कर दिया।’ बता दें कि जनता द्वारा सरपंच का चुनाव होता है और इसका तबादला राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।