संगीत के क्षेत्र में अपना परचम लहराने को बेताब है रमीज़-फ़ैज़ की जोड़ी, इस गीत ने दिलाई पहचान..
संगीत के क्षेत्र में एक युवा जोड़ी कमाल करने आ रही है ये जोड़ी है रमीज़- फ़ैज़ की। अकोला के रहने वाले रमीज़ राजा और तारिक़ फ़ैज़ की ये जोड़ी अपने आप में बेमिसाल है। दोनों काफ़ी सालों से एक- दूसरे को जानते हैं, ये पहचान और भी ख़ास होती गयी जब दोनों ने संगीत से जुड़े शौक़ को आपस में बाँटा। तारिक़ फ़ैज़ और रमीज़ राजा के संगीत के जूनून को हवा बचपन में ही मिल गयी थी।
संगीतकार रमीज़ राजा के पिता शेख़ रौफ़ गुरुजी बीते 40 साल से भजन गायकी में अपना नाम कर चुके हैं साथ ही राष्ट्रीय संत तुकडोज़ी महाराज मंडल में उनके क़रीब 4000 शागिर्द हैं। ऐसे में रमीज़ राजा को बचपन से ही संगीत की धुन लगना स्वाभाविक था। उन्होंने ख़ुद तबले की शिक्षा ली है। वहीं बात तारिक़ फ़ैज़ की करें तो उन्हें घर में मिला शाइरी का माहौल, उनके पिता मुहम्मद रफ़ीक नद्वी शाद अकोलवी साहब एक बड़े शाइर हैं। बचपन से ही तारिक़ फ़ैज़ को शाइरी में दिलचस्पी होती गयी।
नुसरत फ़तह अली ख़ान को सुनकर संगीत सीखने का जज़्बा जागा तो बस MBBS की पढ़ाई के साथ- साथ संगीत को अपना लिया। साथ में रमीज़ जैसा दोस्त मिला तो संगीत MBBS की पढ़ाई के साथ भी चलता रहा। इसके लिए तारिक़ अक्सर इंदौर से अकोला आ जाया करते लेकिन घर न जाकर दोस्त रमीज़ के घर छुपकर रियाज़ करते। दोनों अपने शो के लिए जाते और बाद में वहीं से तारिक़ इंदौर चले जाते।
रमीज़ के घर में संगीत को वही प्यार मिलता जो उनके दिल में भी था। लेकिन तारिक़ फ़ैज़ के घर संगीत को समझा और पसंद तो किया जाता लेकिन एक करियर ऑप्शन बनाने की इजाज़त नहीं थी। ये सारी लुकाछुपी इसी वजह से होती लेकिन जब दोनों का बनाया एक गीत “ख़ून” जो कि मेन्स्ट्रूअल पीरियड की जागरूकता के लिए था, हिट हुआ। तो तारिक़ को भी परिवार से संगीत के लिए इजाज़त मिल गयी।
तारिक़ फ़ैज़ ने गीत के बोल लिखे और रमीज़ राजा ने उन्हें अपने संगीत से सजाया। 28 वर्षीय इस युवा जोड़ी को अपने इस गीत से पहचान तो मिली ही साथ ही पहले से चल रहे काम भी अब और बढ़ गया है। जल्द ही एक मराठी फ़िल्म “MH-30” आ रही है जिसमें ये युवा जोड़ी एक बार फिर लोगों का दिल जीतने के लिए तैयार है। इस फ़िल्म में कई मराठी गीतों के साथ ही एक क़व्वाली भी सुनने मिलेगी।