मिलिए सबसे डैशिंग बा’हुब’ली से, जिसके घर में लगता था कोर्ट, खुद सुनाते थे फैसले
सिवान. बिहार के सिवान से पूर्व सांसद शहाबुद्दीन आतंक का दूसरा नाम से आज भी जाने जाते हैं। आसपास के लोग उनके नाम से ही कांपते थे, हालांकि फिलहाव वे जेल में बंद हैं। फिर भी उनका रुतबा आज भी वही है। हमारे सिवान को भारते के प्रथम प्रेसिडेंट डॉ. राजेंद्र प्रसाद का शहर कहा जाता है। मगर सिवान के पूर्व सांसद और बाहुबली मो. शहाबुद्दीन को हर कोई जानता है। देश के सबसे दबंग सांसदों में से सबसे पहले उनका ही नाम आता है। हिंदूस्तान के सबसे मोस्ट वांटेड अपराधियों में उनका अव्वल नम्बर पर नाम हुआ करता था।
कई आरोपों के बाद उनको जेल में बंद कर दिया गया है। आज हम सबसे डैशिंग डॉन शहाबुद्दीन की पूरी कहानी पर बात करेंगे। शहाबुद्दीन का जन्म सिवान के प्रतापपुर में 10 मई को 1967 को हुआ था। प्रतापपुर में पढ़ाई पूरी करने के बाद वे सिवान गए। इसके बाद सिवान के डीएवी कॉलेज में स्नातक के बाद राजनीति शास्त्र में एमए की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 2000 में मुजफ्फरपुर के बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद बहुत विवाद हुए। उनका विवाह हीना शेख से हुआ था। जो 2009 में सिवान लोकसभा सीट से राजद की ओर से चुनाव लड़ी और हार मिली थी। शहाबुद्दीन के एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं।
21 साल की उम्र में केस दर्ज
शहाबुद्दीन पर केवल 21 साल की आयु में पहला केस दर्ज हुआ था। जिसके बाद यह सिलसिला बढ़ता गया। और कई केस दर्ज हो गए। देखते ही देखते शहाबुद्दीन सिवान का मोस्ट वांटेड क्रिमिनल बन गया। शहाबुद्दीन पर उनकी उम्र से भी अधिक केस दर्ज हो चुके है अभी तक। जिनमें से करीब 6 में उन्हें सजा मिल चुकी है। भाकपा माले के कार्यकर्ता छोटेलाल गुप्ता के अपहरण व हत्या के मामले में वह उम्रभर जेल में रहने की सजा भुगद रहा है।
3 लाख से अधिक वोटों से पटकनी दी थी शहाबुद्दीन ने
साल 2003 में शहाबुद्दीन को माकपा माले के सदस्य का आपहरण के 1999 के एक केस में पुलिस ने पकड़ा था। लेकिन सेहत खराब होने के बहाने शहाबुद्दीन अस्पताल में रहने लगा। इसके बाद वह वहीं से 2004 के चुनाव की तैयारियों में जुट गया और जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार को 3 लाख से अधिक वोटों से पटकनी दी। इसके बाद शहाबुद्दीन के समर्थकों ने जदयू के 8 कार्यकर्ताओं का मर्डर कर दिया और कईयों की पीटाई की। सभी मामलों में प्रदेशभर में 34 मामले दर्ज हुए।
जिसकी सरेराह पीटाई लगाई उसी ने दो बार हराया
शहाबुद्दीन ने निर्दलीय प्रत्याशी ओमप्रकाश यादव को सरेराह पीटा था। इसके बाद अन्य कई मामलों में पुलिस ने शहाबुद्दीन को कोर्ट पेश किया वहां से आजीवन जेल की सजा काट रहा है। इसके बाद से दो चुनाव में उसकी पत्नी हीना को ओमप्रकाश यादव ने बुरी तरह हराया था। साल 2009 में ओमप्रकाश यादव ने हीना को 60 हजार से अधिक वोटों से हराया और साल 2014 में बीजेपी के टीकट पर ओमप्रकाश यादव ने 1 लाख से अधिक वोटों से हराया था।
लगता था कोर्ट और सुनाता था फैसला
समाज पर शहाबुद्दीन का गजब का प्रभाव था। जैसे- जैसे सत्ता का संरक्षण मिलता गया, उसकी ताकत भी बढ़ती गई और रुतबा और भी बढ़ गया। शहाबुद्दीन ने अदालत लगाई तब वह बहुत अधिक सुर्खियों में आया। फरियादी उनके पास आते थे वहां हाथोंहाथ न्याय मिलता था। यह क्रम काफी समय तक चला। कई फैसले सुनाए जिसमें डॉक्टरों की फीस 50 रुपए भी की गई। उस वक्त किसी की हिम्मत नही थी कि शहाबुद्दीन के फैसले को नकार दे या अमल में न लाए।