भारत को विश्व गुरु और शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता-डॉ. परमार!

रायपुर. विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी, शाखा रायपुर द्वारा गुरुवार शाम एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई। उत्तर पूर्वांचल के समक्ष चुनौतियां एवं समाधान विषय पर आयोजित संगोष्ठी सिविल लाइन क्षेत्र में स्थित वृंदावन हॉल में हुई।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. मानसिंह परमार, कुलपति कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विवि, रायपुर ने अपने उद्बोधन की शुरुआत में आध्यात्म और धर्म को एकदूसरे से अलग होने की बात कहते हुए आध्यात्मिक शिविर का एक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा, विवि में हाल ही में आध्यात्मिक शिविर आयोजित किया, जिसको लेकर छिड़ी बहस को इतना मीडिया कवरेज मिला कि करीब आठ करोड़ लोगों तक उसकी जानकारी पहुंची, वहीं विदेशों में रह रहे मित्रों ने भी फोन कर बताया कि आपके विवि की खबर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी दौर में देश के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां से खबरें आती हैं, कि जम्मू-कश्मीर में तिरंगा नहीं फहराया गया, राष्ट्रगान के लिए लोग खड़े नहीं हुए। हमें लोंगों को यह समझाना होगा कि आध्यात्म धर्म से अलग हैं।
उन्होंने कहा कि विवेकानंद जी ने पूरे विश्व में कई ज्ञान की बातें बताकर गए हैं, यह सिर्फ भारत में ही हो सकता हैं। भारत कर अर्थ बताते हुए कहा कि भा यानी ज्ञान और रत यानी लीन। हमारे देश में कहीं भी नदियों के नाम पुरुषों के नाम पर नहीं होते हैं, हमने नदियों को मां की संज्ञा दी हैं।
हमें यह तय करना पड़ेगा कि युवाओं को किस तरह की शिक्षा मुहैय्या करवाएं, भारत तोडऩे की या राष्ट्र निर्माण की। हम हमेशा हमारे मौलिक अधिकारों के लिए ही बात करते हैं, कभी किसी ने मौलिक कर्तव्यों पर ध्यान नहीं दिया। मौलिक कर्तव्यों पर ध्यान देंगे तो देश बदल जाएगा। अगर हम अपने दायित्वों का निर्वहन करें तो भारत को विश्व गुरु और शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित प्रवीण दाभोलकर, संयुक्त महासचिव विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी ने विचार गोष्ठी के विषय उत्तर पूर्वांचल के समक्ष चुनौतियां एवं समाधान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में 22 जनजातियां निवास करती हैं, फिर भी जनसंख्या की दृष्टी से देश का बहुत छोटा भाग हैं। यहां के 8 राज्यों से सिर्फ 21 सांसद चुने जाते हैं, इसी वजह से यहां की प्रगति का विचार अनदेखा हो जाता है। यहां आज भी दिल्ली से किसी अधिकारी का ट्रांसफर होता हैं, तो वह सजा के रुप में माना जाता हैं। उस अधिकारी को यह सुविधा भी दी जाती हैं कि वह अपना दिल्ली में भी घर रख सकता है।कार्यक्रम में वक्ता सुभाष चंद्राकर, प्रो. दुर्गा कॉलेज ने भी अपनी बात रखी। कार्यक्रम में समर्पिता भारत की निवेेदिता शीर्षक पर लिखी गई पुस्तक का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में अतिथि परिचय सुयश शुक्ला ने दिया। केंद्र परिचय मनीषा दीदी ने दिया।