India Hindi Newsराष्ट्रीय

इंदौर: भय्यू महाराज का अंतिम संस्कार किया गया, बेटी ने दी मुखाग्नि

इंदौर. भय्यू महाराज बुधवार को यहां भमोरी श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनकी बेटी कुहू ने उन्हें मुखाग्नि दी। इससे पहले पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए बापट चौराहे स्थित उनके सूर्योदय आश्रम में रखा गया था। उन्होंने मंगलवार दोपहर अपने स्प्रिंग वैली स्थित घर पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।

श्रद्धांजलि देने पहुंचीं कई शख्सियत

– केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, मंत्री पंकजा मुंडे, विधायक रमेश मेंदोला, कांग्रेस नेता कृपाशंकर शुक्ल, इंदौर के पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे, महेन्द्र हार्डिया, पूर्व विधायक तुलसी सिलावट, अलवर विधायक नरेंद्र शर्मा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के ओएसडी श्रीकांत, मध्य प्रदेश सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री कम्प्यूटर बाबा, कांग्रेस नेता शोभा ओझा, इंदौर की महापौर मालिनी गौड़, कलेक्टर निशांत वरवड़े और डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र ने भय्यू महाराज को श्रदांजलि दी।

भय्यू महाराज का दूसरा सुसाइड नोट मिला
– डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि पुलिस वैज्ञानिक तरीके से पूरे मामले की जांच कर रही है। परिजनों की स्थिति ऐसी नहीं है कि अभी बयान रिकार्ड की जाएं। भय्यू महाराज का दूसरा सुसाइड नोट मिला है। जिसमें सेवादार विनायक का जिक्र है। विनायक 16 साल से उनके साथ था।

खुद को घर पर ही गोली मारी थी

– भय्यू महाराज (50) ने मंगलवार को इंदौर में सिल्वर स्प्रिंग्स स्थित अपने घर में रिवॉल्वर दाईं कनपटी पर रखकर गोली चला दी थी, जो आरपार हो गई थी। उन्होंने सुसाइड नोट भी छोड़ा है। पुलिस प्राथमिक जांच में घरेलू विवाद को आत्महत्या की वजह मान रही है। वहीं, पुलिस को दिए बयान में पत्नी-बेटी ने पारिवारिक विवाद की बात करते हुए एक-दूसरे पर आरोप लगाया।

– डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि घटना के वक्त घर में भय्यू महाराज, मां, सेवक विनायक और योगेश थे। पत्नी डॉ. आयुषी बाहर गई थीं। पुलिस को विनायक ने बताया कि घर में कई लोग रहते हैं। दो सेवादार और थे जिन्हें सुबह 11 बजे भय्यू महाराज ने नीचे भेज दिया था और खुद बेटी कुहू के कमरे में चले गए थे। पत्नी दोपहर करीब 12 बजे लौटी तो देखा कि लाइसेंसी रिवॉल्वर भय्यू महाराज के हाथ के पास पड़ी थी और सिर से खून बह रहा था। विनायक और योगेश उन्हें बॉम्बे हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। अस्पताल के जीएम के मुताबिक दोपहर 2.06 बजे सेवक उन्हें यहां लेकर आए।

बेटी कुहू और पत्नी आयुषी को पसंद नहीं करती थी

– कुहू ने पुलिस से कहा, “मैं उन्हें (डॉ. आयुषी को) अपनी मां नहीं मानती। उन्हीं के कारण पिता ने यह कदम उठाया। उन्हें जेल में बंद कर दीजिए।”
– डॉ. आयुषी ने कहा, “कुहू को मैं और मेरी बेटी पसंद नहीं थी। इसलिए बेटी के जन्म के बाद ही मैं अपनी मां के घर रहने चली गई थी, क्योंकि कुहू यहां रहने वाली थी। कुहू के पुणे जाने के बाद कुछ दिन पहले ही मैं इंदौर आई थी और हम दोनों (भय्यू महाराज और वह) अच्छे से रह रहे थे।”

बेटी का कमरा व्यवस्थित नहीं होने की वजह से हुई थी बहस
– भय्यू महाराज के घर में काम करने वाले एक सेवादार ने बताया, “हर बात पर वे पत्नी से ज्यादा बेटी का पक्ष लेते थे। इसी पर दोनों में विवाद भी होते थे। इस दौरान वह डरकर सहम जाते थे।”
– “मंगलवार सुबह करीब 11 बजे भय्यू महाराज बेटी कुहू के कमरे में पहुंचे तो वह अस्त-व्यस्त मिला। पत्नी को बोला कि कुहू आने वाली है। इसे व्यवस्थित क्यों नहीं रखते हो? इसे लेकर दोनों के बीच बहस भी हुई। इसके बाद खड़े होकर नौकरों से कमरा व्यवस्थित कराया। काम पूरा होने तक वहीं खड़े रहे।”

पत्नी ने करीबियों को बताया- उन्हें देख मेरा गला ही सूख गया
– पत्नी डॉ. आयुषी ने बताया, “गुरुजी रोज की तरह उठे। योग किया। पूजा-पाठ करने के बाद मुझसे कहा- आज कटहल की सब्जी खाने की इच्छा है। मैं कॉलेज जाने से पहले बोलकर गई थी, खाना खा लेना। वापस आई तो पहले बच्ची को खिलाया। इसके बाद मैंने नौकरों से पूछा- गुरुजी कहां हैं। नौकर बोले- किसी कमरे में हैं। मैंने कई कमरों में जाकर देखा। गुरुजी नहीं दिखे। थोड़ी चिंता हुई। बाथरूम तक में जाकर देख लिया। फिर ज्यादातर बंद रहने वाले एक कमरे में जाकर देखा। दरवाजा अंदर से बंद था। खटखटाया। कोई हलचल नहीं। मैंने जोर से आवाज लगाकर नौकरों को बुलाया। नौकर दौड़ते हुए आए। मैंने कहा- दरवाजा तोड़ दो। दरवाजा तीन से चार झटके में टूटा। महाराज आंखें फेरे हुए पड़े थे। चारों तरफ खून फैला हुआ था। मेरा तो जैसे गला ही सूख गया। आवाज बंद पड़ गई। गाड़ी में रखकर उन्हें अस्पताल की ओर भागे।”

सुसाइड नोट में लिखा- कोई इसके लिए जिम्मेदार नहीं है
– भय्यू महाराज ने सुसाइड नोट में लिखा, “पारिवारिक जिम्मेदारी संभालने के लिए यहां कोई होना चाहिए, मैं बहुत तनाव में हूं। थक चुका हूं, इसलिए जा रहा हूं। विनायक मेरा विश्वासपात्र है। सब प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट वही संभाले। किसी को तो परिवार की ड्यूटी करनी जरूरी है तो वही करेगा। मुझे उस पर विश्वास है। मैं कमरे में अकेला हूं और सुसाइड नोट लिख रहा हूं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button