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जाने क्यों मनाया जाता है गोवर्धन पूजा और क्या है इस पर्व का महत्व ..

जैसा की हम सभी जानते है की दशहरा के ठीक

20 दिन बाद दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। यह हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में एक है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की दिवाली की सुबह गोवर्धन पूजा की जाती हैं और शास्त्रों में इस दिन का बहुत महत्व बताया गया हैं। बता दें कि लोग गोवर्धन पुजा को अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं और इसमें गाय की पुजा की जाती हैं। गोवर्धन पुजा के बारे में शास्त्रो में भी उल्लेखित हैं क्योंकि इसकी शुरुआत द्वापर युग से हो गयी थी और इस पुजा को दिवाली के अगले दिन सम्पन्न किया जाता हैं।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

वैसे आपकी जानकारी के लिए बताते चलें की शास्त्रो में और हमारे भारत देश में गाय को गौ माता कहा जाता हैं और गाय को देवी माँ लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता हैं। इस खास दिन अन्न कूट, मार्गपाली आदि उत्सव भी सम्पन्न किए जाते है। बता दें कि गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से शुरू हुआ हैं, गोवर्धन पुजा कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन की जाती है।

क्या है गोवर्धन पूजा की कथा

गोवर्धन पूजा का संबंध भगवान श्री कृष्ण से है और इसकी शुरुआत भी द्वापर युग से ही हो गई थी, लेकिन इसके पहले ब्रजवासी इंद्र की पूजा करते थे और तभी भगवान ने यह बताया कि आप लोग इंद्र की पूजा करते है लेकिन इससे आप लोगों को कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा। इसलिए लाभ पाने के लिए आप लोग गौ धन को समर्पित गोवर्धन पर्वत पर जाकर गोवर्धन पूजा करे। श्री कृष्ण की बात मानकर लोगों ने इंद्रा देव की पुजा करनी छोड़ दी और गोवर्धन पुजा करने लगे मगर यह बात इंद्रदेव को पसंद नहीं आयी और वो काफी क्रोधित हो गए और उन्होने भारी मात्रा में वर्षा करा दी और लोगों को डराने की कोशिश करने लगे थे।

श्री कृष्ण ने उंगली पर उठाया था गोवर्धन पर्वत

जब इंद्र देव ने लोगों को डराने के लिए भयंकर बारिश कर दी तब श्री कृष्ण, इंद्रदेव की इस मूर्खता पर मुस्कराने लगे। मुसीबत से जूझ रहे लोगों ने सहायता के लिए श्री कृष्ण से गुहार लगाई और तब श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने उँगलियों पर उठा लिया था।

इन्द्रदेव ने लगातार सात दिनों तक भारी मात्र में वर्षा किए और इस गोवर्धन पर्वत के नीचे लोग सात दिन तक रहे। इसके बाद ब्रह्या जी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिया है और तुम उनसे लड़ रहे हो। जैसे ही इस बात की जानकारी इन्द्र को हुई वो अपने किए पर पछताने लगे और भगवान श्री कृष्ण से क्षमा भी मांगी। श्री कृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर ब्रजवासियो से कहाँ कि अब से हर साल गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व हर्ष-उल्लास के साथ मनाओ।

गोवर्धन पूजा का महत्व

ऐसी मान्यता हैं कि यह त्यौहार खुशी का त्यौहार हैं और इस दिन जो दुखी रहता हैं वो साल भर तक दुखी ही रहता हैं और इस दिन खुश रहने वाले लोग पूरे साल खुश रहते हैं, इसलिए गोवर्धन पुजा करना जरूरी होता हैं।

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