‘रमन के गोठ‘ : मुख्यमंत्री ने अटल जी को दी विनम्र श्रद्धांजलि, रेडियो श्रोताओं को बताया ‘अटल दृष्टि पत्र’ के बारे में
रायपुर. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज सवेरे आकाशवाणी से प्रसारित अपनी मासिक रेडियो वार्ता ‘रमन के गोठ‘ की 37वीं कड़ी में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी को विनम्र श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा उनके निधन से हमारा तो निर्माता ही चला गया। डॉ. सिंह ने कहा कि हमारी पीढ़ी ने जब होश संभाला तब अटल जी की लोकप्रियता बुलंदियों पर पहुंच चुकी थी। अटल जी 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे। वर्ष 1942 को अटल जी भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय हो चुके थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने जेल यात्राएं की और भारतीय जनसंघ के नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी से मुलाकात के बाद अपनी राजनीति की दिशा तय कर ली। वे 1954 में पहली बार लोकसभा सदस्य बन गए थे। प्रखर और स्पष्टवादी वक्ता होने के कारण अटल जी का सम्मान काफी तेजी से बढ़ा। देश, काल और समाज की परिस्थितियों को समझने और सरलता से समाधान निकालने की उनकी कार्यशैली का आकर्षण भी तेजी से बढ़ा। अटल जी पत्रकार, संपादक, कवि, समाजसेवी, लोकहितैषी चिंतक पहले थे और फिर एक राजनेता। उन्होंने अपनी संवेदनशीलता, जनपक्षधरता, उदारता, सिद्धांतों, मूल्यों और आदर्शों के प्रति अटल रहते हुए अपने नाम को सार्थक किया था। यही वजह है कि बिना किसी पारिवारिक, राजनैतिक पृष्ठभूमि के सार्वजनिक और राजनैतिक जीवन में स्थान बनाने वाले अटल जी को देश की जनता प्रधानमंत्री के रुप में देखना चाहती थी।
मुख्यमंत्री ने कहा- अटल जी के समकालीन और वरिष्ठ राजनेताओं ने भी यह भविष्यवाणी की थी, कि अटल जी देश का नेतृत्व करेंगे। अटल जी 70 वर्षों में ऐसे दूसरे राजनेता बने, जिन्हें तीन बार प्रधानमंत्री का पद मिला। अटल जी का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि मैं ही नहीं, बल्कि सार्वजनिक जीवन में आने वाले और विशेषकर राजनीति में आने वाले लोगों का सपना होता था कि अटल जी जैसा बने। उनकी बोलचाल, हावभाव और भाषणों को देखकर लोग अभ्यास करते थे कि किस तरह से प्रभावशाली वक्ता बना जा सकता है। जहां तक मेरा सवाल है मैंने पहले भी कहा है कि अटल जी मेरे गुरु थे। मैंने उनको देखकर ही अपने व्यक्तित्व को ढालने का प्रयास किया है। मुझे लगता है कि कोई व्यक्ति चाहे राजनैतिक जीवन में हो या किसी अन्य क्षेत्र में सदाशयता, सच्चाई और संवेदनशीलता से ही अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह ईमानदारी से कर सकता है। अटल जी के इस बीजमंत्र ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया और सफलता भी दिलाई।
वर्ष 2025 तक छत्तीसगढ़ का जी.एस.डी.पी. दोगुना होगा
मुख्यमंत्री ने कहा- हम ऐसे तरीके अपनाएंगे जिसमें मानवीय श्रम और प्रौद्योगिकी के संगम से हर व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन मिले। वर्ष 2025 तक प्रदेश का जी.एस.डी.पी दोगुना हो जायेगा, प्रति व्यक्ति आय के मामले में छत्तीसगढ़ भारत के शीर्ष पांच राज्यों में से एक होगा। किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी कर उन्हें सशक्त बनाएंगे और आधुनिक तकनीक के उपयोग से उत्पादकता बढ़ाएंगे। प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती स्वास्थ्य देखभाल का अधिकार होगा। सभी छत्तीसगढ़ वासियों के लिए अपने घर का सपना तो हम वर्ष 2022 तक ही पूरा कर देंगे। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था छत्तीसगढ़ की खास पहचान होगी। वर्ष 2025 तक छत्तीसगढ़ शिक्षा की गुणवत्ता में देश के शीर्ष पांच राज्यों में से एक होगा। हर बच्चा स्कूल में पढ़ रहा होगा। प्रदेश में शत प्रतिशत साक्षरता होगी। वर्ष 2025 तक 15 प्रतिशत से कम लोग गरीबी रेखा के नीचे होंगे। वर्ष 2030 तक हम गरीबी का संपूर्ण उन्मूलन करने में सफल होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी नागरिकों के लिए शुद्ध पेयजल, दूरभाष संपर्क, बेहतर स्वच्छता एवं अपशिष्ट निपटान की बेहतर सुविधाएं होंगी। सौ प्रतिशत आंगनबाड़ियों और स्कूलों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा। वर्ष 2025 में छत्तीसगढ़ की पहचान शानदार सड़कों, पर्याप्त रेलवे नेटवर्क, विमानन सुविधाओं से होगी, जिसके लिए प्रमुख शहरों में हवाई सुविधा सहित बेहतर क्षेत्रीय संपर्क, दस हजार किलोमीटर की अतिरिक्त सड़कें एवं तेरह सौ किलोमीटर का अतिरिक्त रेलवे नेटवर्क होगा। छत्तीसगढ़ भारत में निवेश एवं उद्यमिता के लिए सबसे पसंदीदा राज्य होगा और अग्रणी निर्यात केंद्रों में से एक होगा। छत्तीसगढ़ वर्ष 2025 तक देश का अग्रणी, हरित पर्यावरण मित्र राज्य होने के कारण देश के प्रमुख पर्यटन गंतव्यों में भी शामिल होगा। छत्तीसगढ़ की महिलाएं सुरक्षित, अधिकार संपन्न, शिक्षित, स्वतंत्र, बराबरी के अवसरों से युक्त होंगी और राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही होंगी। यह एक अवधारणा है जिसके आधार पर काम किया जा रहा है। डॉ. सिंह ने प्रदेशवासियों से कहा-नवा छत्तीसगढ़ 2025 की तैयारी में आप लोगों को भी जुटना होगा क्योंकि हम सब मिलकर जब छत्तीसगढ़ की रजत जयंती मनाएंगे, तो वह हमारी अस्मिता का महान उत्सव, आनंद और गौरव का नया एहसास होगा।