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जानिए बिहार की माटी ही क्यों पैदा करती है हिन्दुस्तान के सबसे ज्यादा IPS

बिहार. हमारे देश में सबसे अधिक आईपीएस अधिकारी देने वाला एक ही राज्य है। जी हां आप समझ ही गए होंगे दोस्तों कि हम बिहार की बात कर रहे हैं। बिहार के बारे में कहा जाता हैं एक बिहार सब पर भारी। बड़ी बात तो यह है कि आईपीएस कैडर का हर दसवां इंसान बिहार का ही रहने वाला होता है। वहीं भारत सरकार में भी हर आठवां सचिव बिहारी ही होता है।
जीवन की मूलभूत आवश्यक्ताओं में भलेही रोटी, कपड़ा और मकान हों वहीं स्वास्थ्य के मामले में भी बिहार कैडर के अधिकारियों की झांकी है। सिविल सर्विस में बिहार की कैसी भी इमेज रही हो लेकिन बीते 10 सालों में इस राज्य ने 125 आईपीएस अधिकारी दिए है। बड़ी बात है कि सी-सैट के लागू होने के बाद धारणा बनाई गई थी कि सिविल सर्विस में बिहारियों का दबदबा घटेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बिहारियों ने नई ऊंचाईयां छुई।


यह बात भी अलग है कि बीते 11 सालों में यूपीएससी की सिविल परीक्षा में पूरे भारत में पहले दर्जे पर कोई बिहारी नहीं आ सका। मगर असलीयत यह भी है कि आईपीएस के तौर पर चयन के लिए बिहार के युवाओं की संख्या सबसे अधिक होती हैं। बात करें सचिव संजीव हंस की तो वे भी बिहार कैडर के हैं। साथ ही संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव और अपर सचिव स्तर के कई अधिकारी बिहार से ही आए हैं। बिहार से आनेवाले मंत्रियों की पहली पसंद भी बिहार कैडर के आईएएस होते हैं। यह एक बहुत अच्छी बात है।

देश में सबसे अच्छे मुकाम पर बिहार

एक जानकारी के अनुसार बिहार के आईएएस अफसरों की संख्या बीते 20 साल में काफी बढ़ी हैं। साल 1997 से 2006 के बीत 11 सालों में पूरे देश से चुने गए कुल 1588 आईपीएस अफसरों में से बिहार से 108 है जो 6.80 प्रतिशत होते हैं। यह आंकड़ा अगले 11 सालों में बढ़ गया है। साल 2007 से 2016 के मध्य देश से चुने गए कुल 1664 आईपीएस अफसरों में से बिहार से 125 (7.51 प्रतिशत) शामिल हुए। हालांकि यह बढ़ोत्तरी अभी बिहार के कुल आईपीएस अफसरों की संख्या में कम है।

देश में 9.38 प्रतिशत के साथ बिहार दूसरे नंबर पर

देश की सबसे कठिनतम परीक्षा है संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सर्विस परीक्षा। इसमें टॉप रैंकर्स बनते हैं आईएएस। ये टॉप रैंकर्स कैसे बनते हैं, इसका फिक्स फॉर्मूला तो अब तक किसी को नहीं मिला लेकिन टॉपर्स में बिहार आज भी दूसरे नंबर पर है। देश भर के कुल 4925 आईएएस अधिकारियों में 462 अकेले बिहार से हैं। यानी 9.38 प्रतिशत टॉप ब्यूरोक्रेट्स बिहारी हैं। इस मामले में बिहार से आगे सिर्फ उत्तरप्रदेश है जहां के 731 (14.84 प्रतिशत) आईएएस अधिकारी हैं।

52 विभाग में 7 के सचिव बिहारी आईएएस

केंद्र सरकार के ऐसे कई विभाग हैं, जहां बिहारियों की नियुक्ति होती है। सभी राज्यों में बिहारियों को स्थान मिलता है। केंद्र में 52 विभाग हैं जिनमें से सात के सचिव बिहार कैडर के हैं। राज्य कैडर के कुल 42 आईएएस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। संजीव हंस, एन सरवन कुमार, सर्वानन एम, कुंदन कुमार, अभय कुमार सिंह और बी कार्तिकेय विभिन्न मंत्रियों से संबद्ध् हैं। एम सर्वानन प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह से जुड़े हैं।

1987 से 1996 के बीच रहा बड़ा दबदबा

बिहार से आईएएस अधिकारी बनने के मामले में सबसे सुनहरा वक्त 1987 से 1996 के सालों का था, इसमें बिहार का खासा दबदबा रहा था। इस दौरान यूपीएससी के जरिए कुल 982 आईएएस अधिकारियों का चयनित किए गए। इसमें अकेले बिहार से 159 अधिकारी शामिल थे। यानि तब बिहार से आईएएस बनने की दर 16.19 फीसदी रही। यह अन्य राज्यों में काफी अधिक होता हैं।

सिविल सर्विस में भी बेहतर प्रदर्शन

सिविल सर्विस की परीक्षाओं में कभी बिहार के विद्यार्थियों की संख्या अधिक थी लेकिन 1990 के बाद इसमें गिरावट आई। अब एक बार फिर बिहार के विद्यार्थी इसमें अच्छा कर रहे हैं। एक्सपर्ट डॉ. एम. रहमान बताते हैं कि 2011 में सीसैट पैटर्न लागू हुआ। सीसैट में अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता ने बिहारी अभ्यर्थियों के लिए मुश्किलें बढ़ाई हैं। हालांकि अभी सीसैट को क्वालिफाइंग कर दिया गया है, जिसका परिणाम आने वाले सालों में देखने को मिलेगा।

ग्रामीण विकास में भी बिहार की झांकी

सबसे ज्यादा बिहार कैडर के आईएएस एक विभाग में हैं जो भी परीक्षा देता है वह इसी विभाग को टारगेट में रखता होगा। इसलिए भी। वह है ग्रामीण विकास। इस विभाग के राज्यमंत्री रामकृपाल यादव भी बिहार के हैं। ग्रामीण सड़क और इंदिरा आवास के निर्माण की जवाबदेही इसी विभाग पर है। 1987 बैच के बी प्रधान को गृह मंत्रालय में परामर्शी का महत्वपूर्ण पद दिया गया है। यह संयुक्त सचिव स्तर का पद है।

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