इस जन्माष्टमी जरूर सीखें श्रीकृष्ण की ये पांच बातें, जीवन रहेगा खुशहाल
श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने गए हैं। उन्हें कन्हैया से लेकर श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी जाना जाता है। जगत के कल्याण के लिए उन्होंने धरती पर जन्म लिया था। बाल्यावस्था में श्रीकृष्ण ने अद्भुत लीलाएं की थीं, जिनकी कथाएं सुनकर आज भी लोग धन्य हो जाते हैं। उनकी लीलाओं में गोचारण लीला, गोवर्धन लीला और रास लीला आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा महाभारत के युद्ध के दौरान उन्होंने अर्जुन को उपदेश दिया था, जो आज श्रीमद्भगवद गीता के नाम से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस उपदेश के लिए श्रीकृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। उनके जन्मदिवस को लोग कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। यह त्योहार सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। इस जन्माष्टमी के मौके पर आइए जानते हैं श्रीकृष्ण द्वारा अपनाए गए कुछ गुणों के बारे में, जिनसे हमें सीख मिलती है।
गुरु के प्रति आदर
भगवान श्रीकृष्ण के मन में अपने गुरुओं के लिए हमेशा सम्मान रहा है। वह जिस भी साधु-संत से मिले, उन्हें पूरा सम्मान दिया। यह गुण हर किसी में होना चाहिए। व्यक्ति के मन में हमेशा अपने गुरु के प्रति आदर भाव रहना चाहिए, तभी वे जीवन में सफल हो पाएंगे।
माता-पिता का सम्मान
श्रीकृष्ण वैसे तो देवकी और वासुदेव के पुत्र थे, लेकिन उनका लालन-पालन यशोदा और नंद जी ने किया था। इसके बावजूद उन्होंने अपनी दोनों माताओं और पिता को अपने जीवन में बराबर का स्थान दिया। इससे सीख मिलती है कि हर किसी के जीवन में मां-बाप का स्थान सदैव सबसे ऊंचा होना चाहिए।
दोस्ती
भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती के किस्से तो आपने सुने ही होंगे। उनकी दोस्ती में न ऊंच-नीच थी, न अमीरी-गरीबी और न ही छोटे-बड़े की पाबंदियां। उनकी दोस्ती एक शुद्ध प्रेम था। इससे हर व्यक्ति को अपने रिश्ते की कद्र करने और दोस्तों के प्रति सदैव प्रेम का भाव रखने की सीख मिलती है।
मोह से ऊपर उठना
कुरुक्षेत्र में जब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, तो उन्होंने कहा था कि मनुष्य को मोह-माया से ऊपर उठकर हमेशा सत्य की राह पर चलना चाहिए। किसी अपने का पक्ष लेने के बजाय जो व्यक्ति गलत है उसको गलत और जो सही है उसको सही कहना चाहिए।
संघर्ष ही जीवन है
हर मनुष्य का जीवन किसी न किसी रूप में संघर्ष से भरा होता है। श्रीकृष्ण का जीवन भी संघर्षों से भरा रहा है। बाल्यावस्था से ही उनकी राह में कई बाधाएं आईं, लेकिन वह तनिक भी विचलित नहीं हुए और बाधाओं का डटकर सामना किया। इससे हर व्यक्ति को सीख मिलती है कि उसे अपने जीवन में आने वाली कठिनाईयों का बिना हिम्मत हारे सामना करना चाहिए। अंत में जीत उसी की होगी।